दलालों का दलदल ही लगाता है पार
जागरण संवाददाता, बागपत : डीएल से लेकर वाहन संबंधी कोई भी कार्य करवाना हो और वह नियम से और बिना दलालों के हो जाए तो खुद को भाग्यशाली समझें। अन्यथा एआरटीओ दफ्तर में कामकाज की वैतरणी दलालों के दलदल से ही पार कर सकते हैं। खोखों से बचकर अगर दफ्तर चले भी गए तो वहां कर्मचारियों की मानिंद बैठे दलाल आपका कार्य कराने का आसान रास्ता बता देंगे। इस तरह आसान रास्ता अपनाने से सप्ताह का कार्य दो-तीन दिनों में ही हो जाता है।
किसी दफ्तर का रास्ता खोखों के बीच से होकर गुजरे तो समझो कि आप एआरटीओ दफ्तर पहुंच गए। एआरटीओ दफ्तर के बाहर दुकानों की शक्ल में लकड़ी की रखी आकृति को खोखा कहा जाता है। सामान्यता ऐसे खोखे फोटो कॉपी, चाय आदि का व्यापार करने के लिए रखे जाते हैं, लेकिन यहां से पूरा एआरटीओ दफ्तर ही संचालित करने का खेल शुरू हो जाता है। दलाल यानी कुछ नुमाइंदे यहीं खोखे से कार्य करते हैं, जबकि कुछ दफ्तर में दाखिल होकर हस्ताक्षर संबंधी कार्य निपटाते हैं। इन खोखों से डीएल बनवाने से लेकर वाहन संबंधी तमाम जटिल कार्य भी निपटाए जाते हैं।
कर्मचारियों की शक्ल में बैठे रहते हैं दलाल
दलाल सिर्फ दफ्तर के बाद ही कामकाज नहीं निपटाते बल्कि उनका दफ्तर में पूरा दबदबा रहता है। कार्यालय में पूरे रौब से कर्मचारियों की तरह बैठते हैं और वहीं सलाह देते हैं। यही नहीं दफ्तर के कर्मचारी भी मिलीभगत से इन्हें ही काम सौंप देते हैं। दलाल पैसे लेकर कार्य आसानी से करा देते हैं। दौड़ भाग और तमाम कागजातों व फार्म भरने के झंझट से मुक्ति मिल जाती है।
हम खुद ही जा फंसते हैं दलालों के चंगुल में
दरअसल, यहां दलाल किसी से जबर्दस्ती नहीं करते और न ही खुद को दलाल बताते हैं। इसकी शुरुआत खुद कार्य कराने वाले की ही तरफ से होती है। तमाम लोग काम जल्दी कराने या दौड़ भाग से बचने के लिए दलाल का सहारा लेते हैं और कुछ लोग फंस जाते हैं। सामान्यत: लोग कागजी प्रक्रिया से अनजान होते हैं और वे दफ्तर के बाहर ही पूछताछ शुरू कर देते हैं। इसी बीच सलाह देने के जरिए ही दलाल पूरी कहानी आसानी से समझा देते हैं। दलालों से बचने की नसीहत भी देते हैं और दौड़ भाग तथा कागजातों के झंझट का हवाला भी। ऐसे में काम कराने आया व्यक्ति उसकी जिम्मेदारी पर ही कार्य छोड़ देता है।
इन्होंने कहा..
एआरटीओ दफ्तर में सभी कार्य नियमानुसार व समय से होता है। किसी को परेशानी नहीं होती है। बाहर कुछ दुकानें हैं, वह अपना कार्य करते हैं। उनका ऑफिस से कोई लेना-देना नहीं है। किसी दुकान से अवैध कार्य संचालित हो रहा होगा तो कार्रवाई की जाएगी। कर्मचारी के अलावा दफ्तर में कोई नहीं बैठता। दलाल वहां नहीं बैठाए जा सकते हैं।
-राजेश गंगवार, एआरटीओ