हत्या को बना दिया गैर इरादतन हत्या का मामला
बागपत : नशा मुक्ति केंद्र पर जघन्य ढंग से फिरोज की हत्या के मामले में पुलिस की कार्रवाई भी बड़ी निर्दयी निकली। मृतक के परिजनों की मानें तो यह मामला सरासर हत्या का है। पुलिस को चाहिए था कि इसे धारा 302 में दर्ज करे, लेकिन पुलिस ने इसे गैर इरादतन हत्या में दर्ज कर अपनी कार्यप्रणाली पर ही तमाम सवाल खड़े करवा लिए। पुलिस ने मृतक के परिजनों की तहरीर पर केंद्र के संचालक समेत चार लोगों के खिलाफ धारा 304 के अंतर्गत मुकदमा कायम किया है।
शहर के पास नशा मुक्ति केंद्र पर शनिवार को संचालक और उसके तीन साथियों ने जौहड़ी गांव के फिरोज को पीट-पीट कर मार डाला था। आरोपियों ने मृतक के हाथ की अंगुलियों के नाखून तक उखाड़ लिए थे। पुलिस मौके पर पहुंची और घटना के चश्मदीद आबिद से सारी जानकारी हासिल की। सोमवार सुबह मृतक के भाई अमन मलिक ने आरोपियों के खिलाफ नामजद तहरीर दी तो पुलिस ने केंद्र के संचालक सलीम, इमरान उर्फ चल्लू, फुरकान व भूरा के खिलाफ धारा 304 के अंतर्गत गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया। पुलिस के अनुसार, आरोपियों का फिरोज की हत्या करने का कोई इरादा नहीं था, बल्कि हत्या तो बिना इरादे के ही हो गई। सवाल यह उठता है कि आरोपियों ने सबसे पहले फिरोज को पकड़ा और उसके बाद वहां मौजूद दस से ज्यादा रोगियों को कमरे में बंद कर दिया। आरोपियों ने फिर असली चेहरा दिखाया और लाठी-डंडे लेकर फिरोज पर टूट पड़े। उसके नाखून तक निकाल लिए। सोचने की बात यह है कि इस सब दरिंदगी के पीछे आरोपियों की फिरोज से कितनी बड़ी खुन्नश रही होगी। यह अपने आप में बड़ा सवाल है कि पुलिस हत्यारोपियों को इतनी रियायत क्यों दे रही है।
पुलिस की सुनिए..
कोतवाल अनिल कपरवान ने बताया कि मृतक के भाई ने जो तहरीर दी है कि उसमें हत्या का कोई कारण नहीं लिखा है। इसलिए यह गैर इरादतन हत्या का मुकदमा बनता है। यदि मृतक के परिजन तहरीर में कोई कारण देते तो धारा 302 भी लगाई जा सकती थी।