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मनरेगा : आईपीपीई में बदायूं भी शामिल

By Edited By: Published: Sat, 23 Aug 2014 12:56 AM (IST)Updated: Sat, 23 Aug 2014 12:56 AM (IST)
मनरेगा : आईपीपीई में बदायूं भी शामिल

बदायूं : मनरेगा के तहत अब गांवों में मनमाने ढंग से काम नहीं कराए जाएंगे। लेबर बजट तैयार करने से पहले सर्वे कराकर समुदाय की आवश्यकता तलाश की जाएगी। प्राकृतिक संसाधनों का भी आंकलन किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने आईपीपीई (इंटेंसिव पार्टिसेपेटरी प्लानिंग एक्सरसाइज) की शुरूआत की है जिसमें बदायूं को भी शामिल किया गया है। अगले वित्तीय वर्ष में इसका असर दिखाई पड़ेगा।

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जनपद में शुरूआती दौर यानि वर्ष 2007 से ही मनरेगा संचालित की जा रही है। सभी 885 ग्राम पंचायतों में काम कराया जा रहा है। दो लाख 18 हजार जॉब कार्ड बने हैं और सभी खाते भी बैंक में खोलवा दिए गए हैं। मनरेगा में सरकार से धन तो भरपूर मिल रहा है, लेकिन सुनियोजित काम न होने से हर साल अरबों रुपये बर्बाद हो रहे हैं। केंद्र में आई मोदी सरकार ने मनरेगा के क्रियान्वयन में अमूल चूल परिवर्तन किया है। सुनियोजित कार्य कराने के लिए आईपीपीई (इंटेंसिव पार्टिसेपेटरी प्लानिंग एक्सरसाइज) की शुरूआत की है जिसमें बदायूं को भी शामिल किया गया है। इसी सिलसिले में प्रदेश भर के उपयुक्त मनरेगा को लखनऊ बुलाकर प्लानिंग समझाई गई और इसी के अनुरूप काम कराने के निर्देश दिए गए।

आईपीपीई की जानकारी देते हुए उपायुक्त मनरेगा डीपी सिंह ने बताया कि राज्य स्तर, जिला स्तर और ब्लाक स्तर पर टीमें गठित की जाएंगी। ब्लाक स्तर पर टीमें समुदाय की आवश्यकता की पहचान करेंगी। प्राकृतिक संसाधनों की स्थिति, श्रमिकों के काम मांगने की स्थिति का भी आंकलन किया जाएगा। वास्तविक काम मांगने और पाने वालों की भी पहचान की जाएगी। इसी के आधार पर वित्तीय वर्ष 2015-16 का लेबर बजट भी तैयार किया जाएगा। सरकार की इस नई व्यवस्था का असर अगले वित्तीय वर्ष से दिखाई पड़ने लगेगा।

इनसेट ..

एनआईसी ने डोंगल पर खड़े किए हाथ

मनरेगा में श्रमिकों को ऑनलाइन भुगतान देने के लिए डोंगल सिस्टम लागू किया गया है। इसके अंतर्गत अब ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों को कोई धन नहीं दिया जा रहा है, बल्कि उनसे प्रस्ताव लेकर काम कराने की अनुमति दी जा रही है। मस्टर रोल के आधार पर डोंगल सिस्टम से श्रमिकों के खाते में सीधे भुगतान कर दिया जा रहा है। अभी तक तो एनआईसी का डोंगल लगा हुआ है, लेकिन अब एनआईसी ने हाथ खड़े कर लिए हैं। इसको देखते हुए सरकार ने उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रानिक कारपोरेशन को डोंगल की जिम्मेदारी सौंपी है। जो डोंगल मिले हैं वह दो साल तक क्रियाशील रहेंगे। अब नए डोंगल नई कंपनी ही जारी करेगी।


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