जीरो बैलेंस के खाते के लिए 200 की वसूली
बदायूं : प्रधानमंत्री जन धन योजना में जीरो बैलेंस पर बैंकों में खाते खुलवाए जा रहे हैं। इसके बावजूद खाता खुलवाने के नाम पर 200 रुपये वसूल किए जा रहे हैं। इस पर भाकियू के कार्यकर्ता भड़क गए और कादरचौक के ककोड़ा में एसबीआई की शाखा पर प्रदर्शन किया।
जन धन योजना की घोषणा होने के साथ ही शहर से गांव तक के बैंकों में खाता खुलवाने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी है। ककोड़ा के एसबीआई शाखा में पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि खाता खुलवाने के नाम पर 200 रुपये, पासबुक के लिए 50 रुपये और फार्म के लिए 20 रुपये लिए जा रहे हैं। बैंक से हो वसूली का भाकियू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सर्वेश सिंह पटेल ने विरोध किया। इसका लेकर उन्होंने ग्रामीणों के साथ प्रदर्शन किया। जिलाध्यक्ष रवेंद्र सिंह ने कहा कि ग्राहकों की भीड़ देखकर बैंक के लोग भाग रहे हैं। भागने से काम नहीं चलेगा बल्कि खाता खोलने से ही बात बनेगी। कार्यकर्ताओं ने बैंक के शाखा प्रबंधक को ज्ञापन देकर अवैध वसूली करने वाले कमीशन एजेंट के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
युवा शक्ति संघ एवं नव क्रांति दल की बैठक में भी प्रधानमंत्री जन धन योजना में खाता खोलने को लेकर बरती जा रही अनियमितता का मुद्दा उठाया गया। जिलाध्यक्ष प्रभात सक्सेना ने कहा कि बैंकों में फार्म जमा करने के लिए लोगों से 200 रुपये वसूले जा रहे हैं। जिला संयोजक बंटी शर्मा ने कहा कि इस पर अंकुश नहीं लगा तो आंदोलन किया जाएगा। बाद में जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर डैनी यादव, अमन यादव, आशीष शंखधार, गौरव कुमार, अनंत शुक्ला, शांतनु सक्सेना आदि मौजूद रहे।
300 मिलने के भ्रम में खाता खुलवाने की होड़
सैदपुर : प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत कस्बे में अधिकतर लोगों के खाते बैंकों में होने के बावजूद भी दोबारा खाते खुलवा रहे हैं। कस्बे व गांव के लोगों को किसी ने बताया कि खाता खुलवाने पर उन्हें प्रति माह 300 रुपये और एक लाख का बीमा होगा। जबकि हर महीने पैसे मिलने की बात झूठी है। लोग पैसे मिलने की आस में वह खाते खुलवाने में डटे हैं। कई ऐसे लोग भी खाता खुलवा रहे हैं जिनके पहले से ही खाता चल रहा है। ऐसे भी मामले सामने आ रहे हैं जिन लोगों का सर्व यूपी ग्रामीण बैंक में खाते हैं तो वह एसबीआई में खाते खुलवाने को लेकर लाइन में लगे हैं।
- कुछ लोगों ने अफवाह उड़ा दी है कि खाता खुलने से हर महीने पैसे मिलेंगे। जबकि ऐसा नहीं है। इसका उद्देश्य था कि हर व्यक्ति का बैंक में खाता हो तो वह बचत कर सके और सूदखोरो से पैसे लेने के बजाय बैंक से कम ब्याज पर लोन ले। साथ ही सरकारी योजनाओं की सब्सिडी उसके खाते में भेजी जाए। हालात यह है कि जिन लोगों के दूसरे बैंकों में है वह भी खाते खुलवाने की लाइन में हैं। इसलिए भीड़ बढ़ गई है।
- अजय शर्मा, शाखा प्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक