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संदेह के घेरे में दोनों आरोपियों की नामजदगी

बदायूं : बिनावर के दारोगा हत्याकांड में कल्लू की जुबानी ने उलझा दिया है। कल्लू के अलावा बाकी दोनों

By Edited By: Published: Mon, 27 Jun 2016 01:48 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2016 01:48 AM (IST)
संदेह के घेरे में दोनों आरोपियों की नामजदगी

बदायूं : बिनावर के दारोगा हत्याकांड में कल्लू की जुबानी ने उलझा दिया है। कल्लू के अलावा बाकी दोनों की नामजदगी संदेह के घेरे में आ गई है। उसकी बड़ी वजह है कि जिस ऋषिपाल का नाम बताया गया है उसकी बल्दियत का कोई शख्स गांव में मौजूद नहीं है। पिता के नाम का मिलान न होने के बाद गांव के जिस ऋषिपाल को पुलिस ने हिरासत में लिया है उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं बताया जा रहा है। पुलिस पूछताछ में भी हिरासत में लिए गए ऋषिपाल से पुलिस को घटना से जुड़ी कोई बात हासिल नहीं हुई है। इससे पुलिस भी उलझकर रह गई है। पुलिस का मानना है कि शातिर कल्लू अपने साथियों को बचाने के लिए फर्जी नाम बता सकता है। फिलहाल नन्हे के अलावा ऋषिपाल की नामजदगी पर पुलिस ने अपनी तफ्तीश की दिशा भी बदली है।

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बुधवार रात बिनावर थाना क्षेत्र के गांव घट बेहटी और ढकिया के जंगल में पुलिस मुठभेड़ के दौरान दारोगा सर्वेश यादव के शहीद होने पर पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में तीनों बदमाशों के गोली मारने का दावा किया था। मौके पर ही गोली से घायल होकर गिरे बदमाश कल्लू को दबोच लिया गया था। बाकी उसके दो साथी मुठभेड़ करते हुए जंगल की ओर फरार हो गए थे। पुलिस और गांव वालों ने बताया था कि फरार हुए दोनों बदमाशों के भी पैर में गोली लगी है, क्योंकि गांव वालों के सामने लगी गोली से वह दोनों बदमाशों की चीख निकल गई थी। बदमाश लंगड़ाते हुए जंगल की ओर भागे थे। पुलिस की पकड़ में आए बदमाश कल्लू ने अपने साथियों के नाम नन्हे के अलावा ऋषिपाल पुत्र होरी लाल निवासी गांव सदरापुर थाना फरीदपुर जिला बरेली बताया थे। पुलिस ने सदरापुर गांव में दबिश दी तो पता चला कि यहां ऋषिपाल पुत्र होरी लाल नाम का कोई नहीं है। गांव में एक ही ऋषिपाल था उसके पिता का नाम होरी लाल नहीं है। पुलिस ने संदेह के आधार पर दूसरे ऋषिपाल को हिरासत में ले लिया। उसको हिरासत में लेने के बाद पूछताछ कर रही पुलिस को उससे कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। इस लिहाजा पुलिस का मानना है कि कल्लू ने अपना शातिराना अंदाज दिखाते हुए कहीं न कहीं नामजदगी में खेल किया है। पुलिस ने अब अपनी जांच की दिशा भी बदली है।

कल्लू काफी शातिर किस्म का अपराधी था। उसने अपने बयानों में जिस ऋषिपाल का नाम बताया उसकी बल्दियत मिलान नहीं हुई। उस गांव के दूसरे ऋषिपाल को हिरासत में लिया गया जिससे कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। ऐसे में प्रथम ²ष्टया वह अपने साथियों को बचाने के लिए नामजदगी को उलझा गया। फिलहाल जो भी बदमाश हैं वह जल्द ही पुलिस की गिरफ्त में होंगे।

- ललित मोहन, एसओ बिनावर


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