ठंड से गर्दन को बचाएं और न लगाएं तकिया
जागरण संवाददाता, बदायूं : दिनों दिन बढ़ रही ठंड के साथ-साथ अस्पतालों में सर्वाइकल मरीजों की संख्या ब
जागरण संवाददाता, बदायूं : दिनों दिन बढ़ रही ठंड के साथ-साथ अस्पतालों में सर्वाइकल मरीजों की संख्या बढ़ रही है। एक मुश्त इलाज न होने की वजह से डॉक्टर मरीजों को उपाय सुझा रहे हैं। इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का इलाज न होने की वजह से सावधानियां बरतने की राय दी जा रही है। डॉक्टरों के अनुसार बाजार में बिकने वाले उपकरण महज कुछ ही देर के लिए सुकून दे सकते हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में स्थिति पुरानी जैसी हो जाती है।
ठंडी हवाओं के साथ बढ़ने वाला सर्द मौसम सर्वाइकल के मरीजों को परेशान कर रहा है। रीड़ की हड्डियों के बीच का गैप कम होने पर होने वाला यह मर्ज पीड़ा दायक न हो इसके लिए पूरे शरीर समेत गर्दन के हिस्से को भी ठंड से बचाना चाहिए। कोई भी उपाय करें, लेकिन गर्दन में ठंड न घुसे। बीमारी होने के बाद पीठ के दर्द की शिकायतें बढ़ने के बाद डॉक्टर सोते समय तकिया न लगाने व तख्त पर सोने की सलाह दे रहे हैं। अस्पताल में पहुंचने वाले सर्वाइकल के रोगियों में कंप्यूटर पर कार्य करने वालों संख्या ज्यादा है। जो कुर्सी पर सीधे बैठकर व आंखों के सामने ही 180 डिग्री के एंगिल पर कंप्यूटर सिस्टम रखकर बीमारी से राहत मिलेगी और नुकसान भी नहीं होगा। इन उपायों को ध्यान में रखकर कार्य करने से सर्वाइकल की बीमारी नहीं होगी।
क्या कहते हैं डॉक्टर
जिला अस्पताल के फार्मासिस्ट डा. शकील ने बताया कि एक बार यह बीमारी होने के बाद इसमें सावधानियां काफी बरतनी होती हैं। बाजार में मिलने वाली मशीनें कुछ देर तक तो आराम देंगी, लेकिन बाद में फिर पुरानी जैसा दर्द शुरू हो जाता है। बिना डॉक्टर के इन उपकरणों का उपयोग करने से और ज्यादा परेशानी उत्पन्न हो सकती है। इसलिए बिना विशेषज्ञ के परामर्श के कोई भी उपकरण या दवा का प्रयोग न करें। फिजीयोथेरेपिस्ट डा. यूसुफ ने बताया कि वाहन चलाते वक्त और एक ही पोश्चर में बैठ कर काम करने से दिक्कतें होती है। समय समय पर हमें इसमें बदलाव करते रहना चाहिए।