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पॉलीथिन छोड़ने के सिलसिले ने पकड़ी रफ्तार

जागरण संवाददाता, बदायूं : पॉलीथिन का उपयोग छोड़ने का सिलसिला तेजी पकड़ रहा है। जिले के बा¨शदे पॉलीथ

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 05:47 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 05:47 PM (IST)
पॉलीथिन छोड़ने के सिलसिले ने पकड़ी रफ्तार

जागरण संवाददाता, बदायूं : पॉलीथिन का उपयोग छोड़ने का सिलसिला तेजी पकड़ रहा है। जिले के बा¨शदे पॉलीथिन पर रोक लगाए जाने की मुहिम से जुड़ने लगे हैं। बाजार में थैले का चलन बढ़ गया है। दुकानदारों ने थैला में सामान देने की एकजुटता दिखाई है, ताकि पॉलीथिन का चलन बंद हो। जिले के जिम्मेदार वर्ग ने पॉलीथिन के नुकसान से वाकिफ होकर इसे छोड़ने का फैसला किया है। गुरुवार को दैनिक जागरण ने पॉलीथिन पर रोक लगाए जाने के विषय प राय ली। अमूमन सभी ने एक सुर से इस पर प्रतिबंध को प्रभावी बनाने की जरूरत जताई। साथ ही खुद भी इसका उपयोग बंद करने का संकल्प लिया है।

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दैनिक जागरण ने स्मार्ट सिटी स्मार्ट सिटीजन अभियान अंतर्गत जिले को पॉलीथिन मुक्त बनाने की अलख छेड़ी है। लिहाजा लोगों को इसके नुकसान बताए। परिणाम बेहद सकारात्मक आए। इसकी बिक्री करने वाले दुकानदार भी पॉलीथिन पर रोक लगाने के पक्ष में दिखे। इसलिए क्योंकि यह प्रदूषण का जरिया है। हाईकोर्ट द्वारा इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए ¨चता जताने पर भी लोग जागरूक हुए हैं। दुकानदारों का मानना है कि हाईकोर्ट की गंभीरता के बाद इस पर अंकुश लगना लगभग तय है। इसलिए पॉलीथिन का रोजगार बंद करने के प्रयास के साथ दूसरा काम तलाश रहे हैं। वहीं जिले के लोगों ने इसका उपयोग बंद किए जाने में अहम भूमिका निभाई। इसके दुष्प्रभाव संबंधी समाचार प्रकाशित होने के बाद से बदलाव दिखा। लोग घर से बाजार थैला लेकर साथ चलने लगे। बाजार में भी इसके प्रतिबंध के नोटिस चस्पा हो गए। स्थिति यह है कि इस समय जिले की बड़ी आबादी इस पर रोक लगाने की पक्षधर है। कुछ लोग पॉलीथिन का उपयोग छोड़ रहे हैं। तो कुछ लोग दूसरों को भी इसका इस्तेमाल न करने की सलाह दे रहे हैं।

इसलिए क्योंकि यह पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक है। यह खतरनाक कैमिकल्स से बनती है। जब इसमें कोई गर्म खाद्य पदार्थ रखा जाता है। तब पॉलीथिन में मिश्रित कैमिकल्स खाने पीने के सामान में मिल जाते हैं। फिर यह कैमिकल्स पेट में तमाम तरह की मर्ज और कैंसर तक का खतरा पैदा करते हैं। यह पशुओं की मौत का कारण भी बनती है। पर्यावरण को जहरीला बनाती है। क्योंकि यह नष्ट नहीं होती है। इसलिए अगर इसे जलाया जाता है तो इसके कैमिकल्स हवा में मिल जाते हैं। फिर वह सांस और फेफड़े रोग को बढ़ावा देते हैं। वाटर लेवल घटा रही है। अब लोग थैला लेकर बाजार पहुंचने लगे हैं।


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