गरीबों के सिर छत नहीं, अमीरों के घर तक सड़कें
बिसौली : तमाम सरकारी योजनाओं के बाद भी पूरे ब्लॉक में विकास के नाम पर कुछ सड़कें और आवास बन सके। गांव
बिसौली : तमाम सरकारी योजनाओं के बाद भी पूरे ब्लॉक में विकास के नाम पर कुछ सड़कें और आवास बन सके। गांवों में गरीब के सिर पर छत नहीं है तो अमीरों के घरों के सामने पक्की सड़कें बनी हैं। रही बात सफाई की तो कई गांव ऐसे भी हैं कि जहां पर सफाई कर्मचारी जाते ही नहीं। शासन के तमाम प्रयासों के बाद भी लोहिया गावों में भी समुचित विकास नहीं हो सका है।
जनपद मुख्यालय से 38 किमी दूर स्थित ब्लॉक मुख्यालय पर लगे बोर्ड ही सरकारी योजनाओं को बयां कर रहे हैं। हकीकत के धरातल पर कई गांवों को तो विकास की हवा ने छुआ तक नहीं है। रही बात ब्लॉक मुख्यालय की तो यहां पर तो गंदगी के ढेर लगे हैं। जिन आवासों में सरकारी कर्मचारी रह रहे हैं, उनमें से एक दो मकान ही होगा जिसकी छत न टपकती हो। कई मकानों में तो घास उग आई है। पथ प्रकाश के नाम पर दो चार लाइट ही जलती हैं। दूर के गांवों की बात तो छोड़ि़ए ब्लॉक मुख्यालय से सटे गाव अजनाबर और मदनजुड़ी में विकास की सरकारी योजनायें सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गई है। इतना ही नहीं लोहिया गावो में आया हुआ धन खर्च ही नहीं हुआ है तो फिर विकास की चर्चा करना दिवास्वप्न ही है। इन गावों में सड़कें तो बन गईं लेकिन बिजली के तारो के जाल बिछे हैं। लटकते तार बिजली विभाग की लापरवाही को बयां कर रहे हैं। हां, इतना जरूर होता है कि ब्लॉक मुख्यालय पर होने वाली बैठकों में सरकारी योजनाओं की चर्चा तो होती है। विकास के नाम पर कागजों का पेट भरकर अपनी पीठ थपथपा ली जाती है। हर चुनाव में नेता आकर लंबे-चौड़े वायदे करते हैं। लोक लुभावन वायदों से गुमराह कर जनता का समर्थन हासिल करते हैं, लेकिन लौटकर फिर नहीं आते। हर बार की तरह इस चुनाव में भी नेताओं का मजमा लगने लगा है। तमाशा खूब हो रहा है, लेकिन जनता भी सबकी थाह ले रही है, सबकी हां में हां मिलकर अपने मन की करने की ठान रही है।