आंखों में गया गुलाल तो जा सकती है रोशनी भी
बदायूं: फाल्गुन माह में सर्वाधिक लोकप्रिय होली का त्योहार दो दिन बाद है। लेागों में उल्लास उर्जा और
बदायूं: फाल्गुन माह में सर्वाधिक लोकप्रिय होली का त्योहार दो दिन बाद है। लेागों में उल्लास उर्जा और आनंद दिख रहा है पर मौसम ने जरूर एक खलल डाल दिया है। ऐसे में होली का त्योहार सूखे गुलाल से ही खेला जाना हितकारी है।
दैनिक जागरण के सात सरोकार में शामिल जागरण सरोकार स्वच्छ समाज के अंतर्गत होली के त्योहार को लेकर शांतिपूर्वक और स्वस्थ तरीके से मनाया जाना नितांत आवश्यक है। चिकित्सक भी यह मानते है कि हुरियारों की मस्ती में कभी कभी होली का रंग और धमाचौकड़ी जानलेवा भी बन जाती है। इसके लिए जरुरी है कि कुछ चिकित्सीय परामर्श पर जरुर ध्यान दिया जाए। चूंकि रंग गीला हो या सूखा इसमें केमिकल घुले होते हैं। जिससे यह दुष्प्रभाव भी छोड़ते हैं। जब तब होली का रंग आंखों में जाने से नुकसान भी हो जाता है और अधिक संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को इससे एलर्जी भी हो जाती है। डाक्टरों का मानना है कि रंग खेलते वक्त आंख और मुंह से इसे दूर रखा जाना चाहिए। रंग में एक तरह का नशा भी होता है जिससे शरीर पर पूरा प्रभाव पड़ता है।
इसका रखें खास ख्याल
- गुब्बारे में पानी या रंग भर कर फेंक फेंक कर न खेलें।
- रंग खेलने से पूर्व सरसों का तेल शरीर पर लगा लें, ताकि छुड़ाने में परेशानी न हों।
- रंग लगाते वक्त आंखों पर न रगडे़।
- जितना बचा जा सकें उतना गीले रंग से परहेज करें।
- सूखा गुलाल लगा कर मनाएं त्योहार की खुशी
- छत से पानी फेंक न मनाएं होली, ताकि नीचे आ जा रहे लोगों में हड़बड़ी न हो पैदा।
'रंग बेशक खुशी का प्रतीक हैं पर इसे खेलते वक्त सावधानी बरतें। सबसे पहले तो दमे वाले मरीज को रंग लगाने की या जबरदस्ती न करें। नहीं तो इस मर्ज के लोगों की दिक्कतें बढ़ जाती है।
-डॉ. हरपाल सिंह, फिजिशियन