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अचलपुर ने तोड़ी बलि प्रथा की बेड़ियां

बदायूं, नूरपुर पिनौनी : एक तरफ देश मंगलयान की डगर नाप चुका है तो दूसरी ओर एक गांव में अभी भी शिव मंद

By Edited By: Published: Sun, 26 Oct 2014 12:42 AM (IST)Updated: Sun, 26 Oct 2014 12:42 AM (IST)
अचलपुर ने तोड़ी बलि प्रथा की बेड़ियां

बदायूं, नूरपुर पिनौनी : एक तरफ देश मंगलयान की डगर नाप चुका है तो दूसरी ओर एक गांव में अभी भी शिव मंदिर पर बलि जैसी कुप्रथा जारी रही। इस दीपावली पर एक संत ने इस कुप्रथा की बेड़ियों को तोड़ने का ऐलान किया तो ग्रामीणों भी उनके साथ आ गए। आखिरकार गोवर्धन पूजा के दिन चढ़ने वाली बलि इस बार ग्रामीणों ने नहीं होने दी।

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इस्लामनगर विकास खंड क्षेत्र के गांव अचलपुर में शिव मंदिर है। यहां सैकड़ों वर्षो से गोवर्धन पूजा के दिन सैकड़ों पशुओं की सामूहिक बलि देने की प्रथा है। इस्लामनगर का एक व्यक्ति यहां आकर बलि के गांव में ही मांस को बेचता था। मांस खरीदने वालों की भी भीड़ जुटती थी। करीब आठ माह से शिव मंदिर पर रह रहे बाबा उमेश गिरि ने इस कुप्रथा व अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाई। मंदिर पर माइक से आठ दिन पूर्व ही घोषणा कर दी कि इस बार बलि नहीं देने दी जाएगी। जो व्यक्ति मांस बेचता था वह आया तो उसके ग्रामीणों वहां से लौटा दिया। इस प्रथा के बंद होने से ग्रामीण खुश हैं। बाबा ने इसे आगे भी नहीं होने देने की बात कही। गांव की महिलाओं ने इस फैसले पर खुशी जाहिर की। वहीं इस कुरीति के समाप्त होने पर ग्रामीणों ने शिव मंदिर पर हवन-कीर्तन व प्रसाद वितरण कर हर्ष जताया।

अचलपुर गांव के शिव मंदिर के महंत बाबा उमेश गिरि ने बताया कि बलि प्रथा महज अंधविश्वास है। ग्रामीणों के सहयोग से हमने गांव में सैकड़ों साल पूर्व की कुप्रथा रोक दी है। अब हमारा उद्देश्य गांव को नशामुक्त करने की है। ग्रामीण शराब व जुआं से तौबा करें। इसके लिए हम ग्रामीणों को जागरूक करेंगे। उम्मीद है ग्रामीण हमें सहयोग करेंगे।


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