लौटा न हाथ खाली कोई भी द्वार से..
बदायूं : सावन की फुहार है, कांवड़ की बहार है, आ जा मेरे भोले बाबा तेरा इंतजार है..व लौटा न हाथ खाली कोई भी द्वार से, झोली भर जाए सबकी बाबा दरबार से.. जैसे शिव भक्तिमय भजनों पर नाचते-गाते कावड़ियों के जत्थे रविवार को पूरे दिन कछला से अलग-अलग शिवालयों के लिए गुजरते रहे। कछला का पूरा घाट भोर से ही कांवड़ियों से भरा रहा, स्नान, पूजन और गंगाजल लेकर रवानगी, यह सिलसिला पूरे दिन चलता रहा।
सावन में कांवड़ यात्रा चल रही है और कांवडियों के हुजूम हाइवे पर केसरिया रंग के कपडे़ पहने दिख रहे हैं। कांवरिए केसरिया रंग में कांवर को तैयार करते ही है साथ अपने आप भी केसरिया रंग की पोशाक पहनते है। क्योंकि मान्यता है कि केसरिया रंग बजरंग बली ने अपने शरीर पर लगाया था और बजरंग बली शिव से ग्यारहवें अवतार कहे जाते इस लिए। इसलिए ही शिव जी की कृपा पाने के लिए भी कांवडिए केसरिया रंग के पोशाक पहन कांवर लेने जाते है। पोशाक पर शिव जी की आकृति भी बनी है। केसरिया रंग की पोशाक के साथ भक्तों ने पैरों में घुंघरू बांध रखें हैं। कुछ भक्तों ने साइकिल पर ही केसरिया रंग में रंगे झंडे व पट्टी भी लगाई है। बदायूं आगरा राज मार्ग पर शिव भक्त बंम-बंम भोले के जयकारों और लाउड स्पीकर पर शिव जी भजनों पर झूमते गाते दिख रहे हैं। कोई ट्रैक्टर-ट्राली पर तो कोई डीसीएम पर भक्तिभाव के लिए लाउड स्पीकर पर बज रहे भजनों के सहारे मीलों की यात्रा तय कर अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं। कछला से बदायूं, सहसवान व बिल्सी मार्गो पर कांवड़ियों का रेला देर रात तक गुजरता रहा। सुरक्षा के लिए जगह-जगह पुलिस तैनात की गई है। पूरे यात्रा मार्ग में विभिन्न संस्थाओं की ओर से कांवड़ियों के लिए भंडारा व जलपान आदि की खूब व्यवस्था की गई।