45 वर्ष पहले पड़ी थी गणेशोत्सव की नींव
बदायूं : वैसे तो महाराष्ट्र में प्रमुखता से गणेशोत्सव मनाया जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षो से देश के लगभग सभी सूबों में इसकी धूम रहती है। बदायूं में इसकी शुरुआत 45 वर्ष पहले मराठों ने की थी। तब से यह उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।
महाराष्ट्र प्रांत के सतारा जिले के माणिक पाटिल के बहनोई शिवाजी 45 वर्ष पूर्व बदायूं आए थे। वह शहर के कानूनगोयान मुहल्ले में रहकर सर्राफा की दुकान पर कारीगरी करते थे। इसके बाद माणिक पाटिल भी बदायूं आ गए। उन्होंने भी यही काम शुरू कर दिया। बकौल माणिक पाटिल उसी साल उन्होंने बहनोई शिवाजी के साथ मिलकर यहां घर में गणेशोत्सव मनाया था। वर्तमान में शहर में मराठों के 18 परिवार निवास कर रहे हैं। इन परिवारों द्वारा यह उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। धीरे-धीरे यह उत्सव परंपरा का रूप लेता जा रहा है। गलियों व मुहल्लों में हर वर्ष की भांति इस बार भी जिले में इस उत्सव को मनाया जा रहा है। बताया जाता है कि पोपट मराठा द्वारा भी इस उत्सव को भव्यता से आयोजित करने में काफी योगदान किया गया था।
स्थानीय लोगों के सहयोग से वृहद हुआ आयोजन
माणिक पाटिल बताते हैं कि पहले घरों से शुरू हुए इस आयोजन में मराठा परिवार के लोग शामिल होते थे। धीरे-धीरे स्थानीय लोगों के सहयोग से इस आयोजन को भव्यता के साथ मनाया जाने लगा है।
दस साल से पूजन कराते हैं पुरोहित पाठक
विजेंदु प्रकाश पाठक मराठों द्वारा मनाए जाने वाले गणेशोत्सव में गणेश प्रतिमा की स्थापना पिछले दस वर्षो से करा रहे हैं। उनका भी इस उत्सव में योगदान रहा है।
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