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परिवार के ठोकर ने बदल दी 'लाइफ स्टाइल'

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : कहते हैं 'जब ही जागो तभी सबेरा' को भले ही हम कहावत के रूप में इस्तेमाल

By Edited By: Published: Mon, 23 Jan 2017 04:03 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jan 2017 04:03 PM (IST)
परिवार के ठोकर ने बदल दी 'लाइफ स्टाइल'
परिवार के ठोकर ने बदल दी 'लाइफ स्टाइल'

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : कहते हैं 'जब ही जागो तभी सबेरा' को भले ही हम कहावत के रूप में इस्तेमाल करते हैं लेकिन कभी-कभी यह हमारे जीवन में अहम भूमिका भी अदा करता है। इसी प्रकार मुकेश मिश्रा ने परिवार का ताना सहा और कार्डियोलाजिस्ट भाई की उपेक्षा भी झेली। परिवार के इस ठोकर को मुकेश मिश्र सहन नहीं कर सके और उठा लिया समाजसेवा का बीड़ा। पांच साल पहले वह बाबा भैरवनाथ महोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष बनें। फिर पिछले एक साल से महराजगंज कस्बे में छात्र-छात्राओं को निशुल्क शिक्षा तो दे ही रहे हैं साथ ही साथ कापी व कलम भी अपने ही मद से देते हैं। उनके इस कार्य में संरक्षक जेएन यादव, मनोज उपाध्याय व पंडित बजरंग त्रिपाठी भी पूरी तरह से सहयोग दे रहे हैं।

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महराजगंज के विशुनपुर गांव निवासी मुकेश मिश्रा ने शिवा पीजी तेरही से एमए की डिग्री प्राप्त की। इस बीच वह छात्रसंघ के उपाध्यक्ष भी रहे। पहले से ही उनका मन समाजसेवा व धार्मिक कार्यों में ज्यादा लगा रहता था। इसी की वजह से वह नौकरी आदि का प्रयास नहीं किए। इनके भाई डा. राजेश मिश्रा अहमदाबाद में कार्डियोलाजिस्ट हैं। पिता रघुवंश मिश्रा आर्मी से सेवानिवृत्त हुए हैं। छोटकन मिश्रा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैं। इनके मुकेश मिश्रा पौत्र हैं। ऐसे में परिवार के लोगों ने इन्हें घुमक्कड़ साबित कर दिया। यही नहीं बड़े भाई ने भी इनको नसीहत दी कि कोई नौकरी करो। इस बीच जिला सूचना अधिकारी डा. जेएन यादव, मनोज मिश्रा के साथ गाजीपुर के डीएम एम लोकेश से मिलने गए थे। इसी दौरान हुई बातचीत में उनकी 'लाइफ स्टाइ'' ही बदल गई। उन्होंने समाज सेवा का जज्बा पाल लिया। धार्मिक कार्यों में रूचि रखने लगे। पांच साल पूर्व से भैरव बाबा भैरवनाथ महोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष बन गए। इसके बाद हर साल यहां श्रीराम कथा का जहां आयोजन करवाते हैं वहीं भव्य भंडारा भी चलता है। अभी साल भर पहले ही उन्होंने महराजगंज कस्बे में क्षेत्र के करीब छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा देने की ठान ली। उनके सामाजिक कार्यों की तरफ बढ़ते रूझान को देखते हुए कार्डियोलाजिस्ट भाई सहित तमाम लोग उनके साथ हो गए। कार्डियोलाजिस्ट भाई खुद अपने मद से मदद करते रहते हैं और मुकेश मिश्रा बच्चों को निशुल्क किताब, कांपी, पेन व पेंसिल भी बांटते हैं। समय-समय पर वस्त्र भी वितरित कर रहे हैं। कुल मिलाकर उनकी सोच समाज को आईना दिखाने के लिए काफी है। आज के दौर में लोग अपने लिए तो जरूर जी रहे हैं लेकिन दूसरों के लिए जीना बड़ी बात है। मुकेश के इस कार्य से क्षेत्र के लोग गदगद तो हैं ही साथ ही परिवार का पूरा सहयोग मिल रहा है। ------------------------


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