संगीत से शुरू होता है बचपन
----------------- आजमगढ़ : शहर के सटा हुआ हरिहरपुर घराना भारतीय संस्कृति व कला का समेटे हुए है। सु
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आजमगढ़ : शहर के सटा हुआ हरिहरपुर घराना भारतीय संस्कृति व कला का समेटे हुए है। सुबह-शाम तबले की थाप शहनाई की सुरीली धुनों के बीच यहां एक नया सबेरा होता है। यहां जन्म लेने वाले बच्चे का बचपन संगीत से ही शुरू होता है। इतना ही नहीं पद्मभूषण छन्नूलाल मिश्र का रिश्ता तक इसी घराने से जुड़ा हुआ है। हरिहरपुर घराने को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने की पहल शुरू हो गई है। विदेशी टीमें भी यहां का आकर सर्वेक्षण कर चुकी हैं। शासन की तरफ से गांव को अत्याधुनिक बनाने की मुहिम शुरू की जा रही है लेकिन अभी तक मामला ठंडा
पड़ा हुआ है। अजय मिश्र सहित कई कलाकार देश व प्रदेश में अपनी अंगुलियों व शास्त्रीय संगीत से छाप छोड रहे हैं।
गांव में सुबह-शाम तबला व शहनाई की धुन सुनाई देती है। आज भी गांव के हर कोने से संगीत की धुन निकलती है जो बरबस लोगां को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। कुल मिलाकर जन्म लेने के कुछ दिनों बाद ही बच्चों को हरिहरपुर घरानों की संगीत विधा व तबला की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। संगीत का रिहर्सल का कार्यक्रम भी सुबह-शाम चलता है। हरिहरपुर घराना के कलाकार देश व प्रदेश में अपनी अंगुलियों की थाप व संगीत से लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। यहां के प्राइमरी बच्चों को शिक्षित करने के लिए विदेश की टीम आकर नींव भी रख चुकी है। पूर्व मंडलायुक्त आरके भटनागर ने इस गांव के विधा ख्याति देने के लिए शासन स्तर से तक आवाज उठाई है। उनकी आवाज का नतीजा रहा कि हरिहरपुर घराने में अफसरों ने डेरा डाल दिया और कलाकारों का सहयोग किया। यहां के ऐतिहासिक पोखरे पर संगीत कलाकार अपनी संगीत साधना सुबह-शाम करते हैं। घराना का सुंदरीकरण, देवता, कूबा का निर्माण किया जा चुका है। यहां के मोहन मिश्रा तबला वादक, राघवेन्द्र मिश्रा हारमोनियम में सम्मानित किए जा चुके हैं। सुदर्शन मिश्रा गायन में महारत हासिल कर चुके हैं। वीरेन्द्र मिश्रा तथा रजनीश मिश्रा हारमोनियम में राजस्थान में प्रथम स्थान प्राप्त किए हैं। यहां के कलाकारों ने प्रदेशों से मेडल भी जीता है। हरिहरपुर घराना संगीत संस्थान के सचिव अजय मिश्र पुत्र स्व. श्याम बिहारी मिश्र गायन व वादन में अपनी कला का जादू बिखेर रहे हैं। उनके पिता को भी शास्त्रीय संगीत में महारथ हासिल थी। अजय मिश्रा उप शास्त्रीय संगीत, भजन,
गजल व लोकगीत में अपनी पहचान बना चुके हैं। वह ताज महोत्सव आगरा, झांसी महोत्सव, सैफई महोत्सव, इटावा भोजपुरी महोत्सव, विरासत महोत्सव उत्तराखंड, इलाहाबाद, लखनऊ, गंगा महोत्सव वाराणसी, म्यूजिक फेस्टिबल पुणे, महाराष्ट्र देवा मेला बाराबंकी आदि स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों में शामिल हो चुके हैं।
घराने के संगीत विद्यालय का निर्माण इसके अलावा भी हो गया है। आरएचडी संस्था के सहयोग से यहां म्यूजियम हाल भी बनकर तैयार है। एक साल से शासन-प्रशासन की तरफ से इस गांव को कुछ नहीं मिला है। इसकी वजह से गांव उपेक्षित है। कुल मिलाकर हमारी संस्कृति को लपेटे यह गांव पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना चुका है लेकिन अभी तक इस गांव को वह दर्जा नहीं मिल सका जिसका वह हकदार है।