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पेट्रोल में मिलावट व कालाबाजारी, क्या करें जनता बेचारी

आजमगढ़ : जिले में लाखों दो पहिया व चार पहिया वाहनों का संचालन होता है। इसके लिए वाहनों में ईंधन के ल

By Edited By: Published: Wed, 31 Aug 2016 06:25 PM (IST)Updated: Wed, 31 Aug 2016 06:25 PM (IST)
पेट्रोल में मिलावट व कालाबाजारी, क्या करें जनता बेचारी

आजमगढ़ : जिले में लाखों दो पहिया व चार पहिया वाहनों का संचालन होता है। इसके लिए वाहनों में ईंधन के लिए पेट्रोल पंपों पर वाहनों की लंबी कतार भी देखी

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जाती है। मिलावटखोरी और कालाबाजारी की बातों को ध्यान में रखने के बावजूद

ईंधन का उपभोक्ता ठगा जाता है और तेल में पानी और साल्वेंट का खेल बड़े

पैमाने पर लंबे समय से चल रहा है लेकिन जनता लाचार है।

देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी पेट्रोल व डीजल में किरासन तेल की मिलावट की बात को स्वीकार करते हुए अभी हाल ही में हाथरस के एक विधायक के पेट्रोल पंपों की जांच के आदेश दिए हैं। इस आदेश के बाद देखना यह है कि क्या बेचारी बनी जनता को अब सही माप और मानक के अनुसार ईंधन मुहैया हो सकेगा। लाख टके का सवाल यह कि जनपद में रसूखदारों के पेट्रोल पंपों की जांच कौन करेगा। आए दिन दो पहिया वाहनों में आई यांत्रिक खराबी के बाद मैकेनिक वाहन स्वामी से पेट्रोल में पानी मिलने की बात कहता है लेकिन यह बात नक्कारखाने में तूती साबित होती है। उपभोक्ता एक तरफ मिलावट खोरी के चलते परेशान तो दूसरी ओर वाहन में आई खराबी को दूर करने के लिए भी उसे आर्थिक दोहन का शिकार होना पड़ता है।

इस संबंध में जागरण ने शनिवार को नगर क्षेत्र के दो-एक पेट्रोल पंपों पर अपने स्तर से पड़ताल की तो लगभग शत-प्रतिशत वाहन स्वामियों ने मिलावट खोरी का रोना रोया। अपनी बेबसी बताते हुए कहा कि इसकी शिकायत किससे की जाए कुछ समझ में नहीं आता। हालांकि पेट्रोल पंप मालिकों में इस मामले में कहा कि मिलावटखोरी अब दूर की कौड़ी हो चली है। कारण कि अब पेट्रो उत्पाद कंपनियां सभी पेट्रोल पंपों पर आटोमैटिक मशीनें लगाकर पूरी तरह मानीट¨रग करती हैं।

केंद्रीय पेट्रोलियम विभाग द्वारा सचल दस्ते भी बनाए गए हैं जो अपने स्तर

से समय-समय पर पेट्रोल पंपों की जांच करती हैं। रही बात पेट्रोल में पानी

मिलने की तो यह सब पेट्रोल में एनथाल नामक रसायन के मिश्रण के कारण हो रहा

है। कारण कि पेट्रोल पंपों पर स्थापित टैंकों में यदि बारिश का पानी किसी

वजह से चला जाता है कि एनेथाल पानी के रूप में परिवर्तित हो जाता है। इसके कारण उपभोक्ताओं को पानी की शिकायत मिलती है।


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