दहेज हत्या में सास-श्वसुर सहित पांच को सजा
आजमगढ़: अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जगदीश प्रसाद की कोर्ट (नं. तीन) ने दहेज हत्या के मामले में सास-श
आजमगढ़: अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जगदीश प्रसाद की कोर्ट (नं. तीन) ने दहेज हत्या के मामले में सास-श्वसुर, जेठ, जेठानी सहित पांच आरोपियों को दस-दस वर्ष की सजा सुनाई है। इसके साथ ही प्रत्येक को 11-11 हजार रुपये अर्थदण्ड भी दिया गया है। इसी मामले के दो आरोपियों रामहरख व जगवंती को अदालत में साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। एक अन्य आरोपी संतोष फरार था इसके कारण अदालत द्वारा उसकी पत्रावली अलग कर दी गई थी।
मुकदमे के अनुसार रामजीत यादव निवासी पूनापार थाना घोषी जनपद मऊ ने एक मार्च 2009 को जीयनपुर थाने में रिपार्ट दर्ज कराई। आरोप के मुताबिक अपनी लड़की रीता की शादी 2 जून 2006 को उमाशंकर पुत्र रामरूप उर्फ रूपा यादव निवासी खतीबपुर थाना जीयनपुर के साथ किया था। ससुराल में शादी के कुछ दिन बाद रीता के साथ अशरफी देवी, ससुर रामरूप, जेठ ओम प्रकाश, संतोष पुत्र ओम प्रकाश व पति उमाशंकर तथा जेठानी जगवंती पत्नी जय प्रकाश व सावित्री पत्नी ओम प्रकाश तथा अगुवा रामहरख यादव निवासी कोटवा बेरवा थाना जीयनपुर ने साजिश के तहत रीता पर दहेज के लिए दबाव डालने लगे। इसकी शिकायत रीता के मायके वाले ने थाने पर की तथा पंचायत भी हुई। उस समय रीता अपने मायके चली आई। पुन: जब वह ससुराल गई तो फिर उसके परिवार वाले दहेज के लिए उत्पीड़न शुरू कर दिए। रीता ने इसकी जानकारी मायके वालों को फोन पर दी। इसी क्रम में 28 फरवरी 2009 को आरोपियों ने रीता गला दबाकर हत्या कर दी। इसकी सूचना किसी ने उसके मायके में फोन दी। इस मामले में जीयनपुर थाना पुलिस ने आठ आरोपियों रामहरख, जगवंती, संतोष, असरफी, रामरूप, ओम प्रकाश, उमाशंकर, सावित्री के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया। अदालत में सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता दिनेश कुमार श्रीवास्तव ने वादी मुकदमा सहित कुल आठ गवाहों को बतौर साक्षी पेश करते हुए अपने तर्कों को रखा। अदालत उभय पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद उक्त सजा का निर्धारण किया।