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ताउम्र न भर पाएगा पूर्णिमा की हत्या का जख्म

आजमगढ़ : तहबरपुर थाना क्षेत्र के ददरा बनगांवा में सोमवार की रात पूर्णिमा की गोली मारकर हत्या के बाद

By Edited By: Published: Wed, 20 May 2015 05:54 PM (IST)Updated: Wed, 20 May 2015 05:54 PM (IST)
ताउम्र न भर पाएगा पूर्णिमा की हत्या का जख्म

आजमगढ़ : तहबरपुर थाना क्षेत्र के ददरा बनगांवा में सोमवार की रात पूर्णिमा की गोली मारकर हत्या के बाद प्रेमी की हत्या किन परिस्थितियों में हुई इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका है। उधर, इस वारदात के बाद गांव के लोग खौफ के साए में जी रहे हैं। हालांकि दोनों परिवार अब इसे ज्यादा तूल देने से बच रहा है। यह जरूर है कि घटना के बाद मृतका की बहन ने हत्या की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी।

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पूर्णिमा की मौत ने परिवार को वह जख्म दिया है जो शायद ही आजीवन भर पाए। मौत की टीस और उसका तरीका जेहन को सालता रहेगा, रुलाता रहेगा। फिलहाल परिवार इसे भूलना चाहता है। कलेजे पर पत्थर रखकर लोग आगे की सोच रहे हैं। कारण उसके चचेरी बहन की शादी जो सिर पर है। पूर्णिमा के चाचा रामकरन ने अपनी पुत्री की शादी 24 मई को तय कर रखी है। शादी में शरीक होने के लिए ही बड़ी बहन रेखा भी इन दिनों घर पहुंची है। घटना की वही चश्मदीद गवाह भी है। उसने आरोप लगाया है कि प्रेमी रवींद्र यादव उर्फ बिल्लू ने फोन करके उसकी बहन को एकांत में बुलाया और गोली शरीर में उतार दी। गले में गोली लगने के कारण पूर्णिमा ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। इस घटना के लगभग छह घंटे बाद उसी स्थान पर प्रेमी रवींद्र का भी गोली लगने से मृत मिलना लोगों के लिए पहेली सा बन बैठा है। पुलिस इसे प्रेम प्रपंच मानते हुए पूर्णिमा की हत्या और रवींद्र की मौत को आत्महत्या मान रही है। यह जरूर है कि उसके माथे पर गोली के निशान और दूसरे ¨बदुओं की ओर भी इशारा कर रहे हैं। फिलहाल दर्ज रिपोर्ट के आधार पर पुलिस मामले की तफ्तीश में जुटी है। उसके तफ्तीश पर न सिर्फ गांव बल्कि जनपद भर की नजर लगी हुई है।

---क्या सुलझ पाएगी अबूझ पहेली

प्रेमी रवींद्र ने आखिर इस तरह का दुस्साहसिक निर्णय क्यों किया यह परिवार के लोगों के लिए भी अबूझ पहेली से कम नहीं है। हालांकि इस परिवार में उसकी मां व बड़ी भाभी ही मौके पर रहीं ऐसे में वह किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं कि आगे इस मामले में कैसा रुख अपनाया जाएगा। लोगों की मानें तो यह परिवार भी अब आगे इस मामले को बंद करने की सोच रहा है। वैसे देखने वाली बात होगी कि वह इसी रुख पर कायम रहते हैं या नहीं। बहरहाल पुलिस अभी तक इसे एकतरफा प्यार मानकर तफ्तीश में जुटी हुई है।

--खौफ के साए में बनगांवा

जिस तरीके से यह दोनों वारदातें हुईं हैं गांव खौफ के साए में जी रहा है। कुछ परिवार तो ऐसे हैं जिनके यहां के पुरुष बाहर आजीविका के लिए गए हुए हैं घर में केवल महिलाएं ही हैं। ऐसे में वह ज्यादा खौफ में हैं। यही वजह है कि बाहर रहकर कमाने-खाने वाले कई जल्द ही आने का कार्यक्रम बना रहे हैं।


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