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निर्मल मन से ही होती है परमार्थ की प्राप्ति

जहानागंज (आमजगढ़) : लोगों के अंदर लोभ एक ब्रह्मा की सृष्टि है। इन दुर्गुणों से ही मन में अहंकार उत्प

By Edited By: Published: Tue, 25 Nov 2014 09:05 PM (IST)Updated: Tue, 25 Nov 2014 09:05 PM (IST)
निर्मल मन से ही होती है परमार्थ की प्राप्ति

जहानागंज (आमजगढ़) : लोगों के अंदर लोभ एक ब्रह्मा की सृष्टि है। इन दुर्गुणों से ही मन में अहंकार उत्पन्न होता है जो नाना प्रकार के दुखों का कारण होता है। जब तक मन निर्मल नहीं होगा तब तक व्यक्ति को परमार्थ की प्राप्ति कदापि नहीं हो सकती है।

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उक्त बातें कोल्हूनाथ खालसा मंदिर शेरपुर कुटी के महंथ रामप्रसाद दास महराज के कृपा पात्र शिष्य रामकृष्ण दास जी ने कही। वे रविवार को मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के बीच प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि व्यक्ति कुसंग के चलते ही मोह माया एवं दुर्गुणों में फंसता जाता है और सहकर्म मार्ग से भटक जाता है। ऐसे में ईश्वर के सानिध्य से वह वंचित हो जाता है। सत्संग ही ऐसा सशक्त माध्यम है जो व्यक्ति का सम्बन्ध परमात्मा से जोड़ता है और उसे सत्कर्म मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। श्री महराज ने कहा कि हर व्यक्ति को छल एवं कपट से बचना चाहिए।

अंत में महराज ने कहा कि यह प्रमाणित है कि जीवन में सुधार सत्संग एवं संत के प्रभाव से ही हुआ है। जीवन का जो भी समय भजन-कीर्तन एवं पूजन अर्चन में व्यतीत होता है वहीं व्यक्ति के जीवन की सार्थकता होती है।


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