पूजन-अर्चन कर अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य
आजमगढ़ : महिलाएं हों या फिर बूढ़े, बच्चा और नौजवान। हर किसी के कदम चल पड़े थे नदी और सरोवरों की ओर। क
आजमगढ़ : महिलाएं हों या फिर बूढ़े, बच्चा और नौजवान। हर किसी के कदम चल पड़े थे नदी और सरोवरों की ओर। कोई था व्रत किसी के दिल में थी अर्घ्य देने की इच्छा। हर तरफ दिख रहा था पूजा का उत्साह।
तीन दिन का व्रत रखने वाली महिलाओं के चेहरे को देख लग रहा था कि भगवान भास्कर की कृपा है कि उनके चेहरे पर कहीं से थकावट के भाव नहीं दिख रहे थे। साथ में चल रहे परिवार के सदस्यों व अन्य परिचितों के दिल में आस्था तो चेहरे पर गजब का उत्साह था।
बुधवार को दोपहर बाद से ही व्रती महिलाओं व उनके परिवार के सदस्यों के कदम चल पड़े थे नदी व सरोवरों के घाटों की ओर। हर तरफ खुशी और जुबां पर छठ मइया से जुड़े गीत।
यह अद्भुत दृश्य देख लग रहा था कि मानों भगवान भास्कर ने अपने भक्तों में अतिरिक्त ऊर्जा का संचार कर दिया हो।
सूर्यषष्ठी व्रत (डाला छठ) पर शाम होने के साथ श्रद्धालुओं की भीड़ से नदी-सरोवरों के घाट पट गए थे। घाटों के किनारे शाम होने के साथ विद्युत रोशनी से नहा उठे। घाटों को रोशन करने में प्रशासन के साथ स्थानीय पूजा कमेटियों का भी योगदान रहा। सूर्यास्त होने के पहले सूर्य के सिंदूरी रूप का दर्शन करने के साथ अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य शुरू हो गया। अंधेरा होते-होते अर्घ्य समाप्त हो गया और उसके बाद फिर उसी उत्साह के साथ सिर पर पूजा का सामान लिए परिवार के लोग चल पड़े घरों की ओर। व्रती महिलाएं हाथ में कलश लिए चल रही थीं। शाम के अंधेरे में कलश पर जलता दीपक लेकर चल रही व्रती महिलाओं को देख ऐसा लग रहा था मानों आगे-आगे देवी और उसके पीछे उसके भक्तों की भीड़ चल रही हो। घर पहुंचने पर व्रती महिलाओं ने आंगन में पूजा की। इस पूजा में घर के सभी सदस्यों की संख्या के अनुसार मिट्टी के पात्र में फल आदि रखकर सूर्य भगवान के नाम से अर्पित किया गया। कुछ घरों में व्रती महिलाओं ने रात्रि जागरण भी किया।
इससे पूर्व घाटों पर व्रती महिलाओं ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर की विधि-विधान से पूजा कर उनसे अपने पति के दीर्घायु और पुत्रों के यशस्वी व वीरवान होने की कामना की। नगर क्षेत्र में तीन तरफ से बहने वाली तमसा नदी के दलालघाट, गौरीशंकर घाट, कदम घाट, भोला घाट, सिधारी, नरौली, हरबंशपुर शाही पुल के पास समेत कई घाटों पर मेला लगा रहा। कई स्थानों पर छठ मइया और सूर्य भगवान की प्रतिमा भी स्थापित की गई थी।