दिन ढलने के साथ रोशन हुए गांव और शहर
आजमगढ़: दीप पर्व दीपावली की तैयारी सुबह से ही शुरू हो गई थी। दिन डूबने के साथ गांव से लेकर शहर तक रो
आजमगढ़: दीप पर्व दीपावली की तैयारी सुबह से ही शुरू हो गई थी। दिन डूबने के साथ गांव से लेकर शहर तक रोशनी से जगमगा उठे। ऐसा स्वाभाविक भी था क्योंकि मौका था दीप पर्व दीपावली का। कहीं तेल के दीपक व मोमबत्तियां तो कहीं विद्युत झालरों के प्रकाश से पूरा वातावरण जगमगा रहा था। बीच-बीच में विद्युत आपूर्ति भंग होने के कारण लोगों को परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। विभिन्न आकर्षक माडलों की मोमबत्तियां और विद्युत संयंत्रों के सतरंगी प्रकाश ने ऐसी छटा बिखेरी कि लोग मुग्ध हो उठे। तेल और घी की महंगाई के चलते विद्युत झालर दीपक पर भारी रहे।
चाइना के बने झालर, गुलदस्ता और अन्य विद्युत संयंत्र सस्ते होने से भी लोगों का झुकाव इस तरफ ज्यादा था। झालरों की खरीददारी अंतिम दौर तक चली। बाजार में 30 से दो सौ रुपये तक के झालर बिके। रंग-बिरंगे झालरों की सबसे अधिक बिक्री देखी गई। परंपरा के अनुसार मिट्टी के दीपक भी जलाए गए। हालांकि, तेल-घी की महंगी कीमत के चलते इनकी संख्या पिछले वर्ष की तरह से इस बार भी कम रही। तेल-घी के दीपक पूजा में जलाए गए या फिर देवालयों में। तमाम लोग ऐसे भी थे जिन्होंने दीपावली में मिट्टी के दीपक ही जलाए। ऐसे लोगों का मानना रहा कि दीपों की रोशनी का अपना अलग ही महत्व होता है।