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धनतेरस पर हर तरफ भागता दिखा महंगाई का राक्षस

आजमगढ़: विजयादशमी के दिन भगवान राम रावण का वध करते हैं लेकिन धनतेरस के दिन परंपरा के निर्वहन के लिए

By Edited By: Published: Tue, 21 Oct 2014 08:45 PM (IST)Updated: Tue, 21 Oct 2014 08:45 PM (IST)
धनतेरस पर हर तरफ भागता दिखा महंगाई का राक्षस

आजमगढ़: विजयादशमी के दिन भगवान राम रावण का वध करते हैं लेकिन धनतेरस के दिन परंपरा के निर्वहन के लिए घरों से निकली भीड़ को देख महंगाई का राक्षस भागते दिखा। महंगाई और महीने के तीसरे सप्ताह की की ऐसी की तैसी हो गई। महंगाई तो जीवन का हिस्सा बन चुका है लेकिन त्योहार रोज तो आते नहीं तो फिर किस बात की चिंता। बाजारों में उमड़ी भीड़ ने दिया कुछ इसी तरह का संदेश। दिन ढलने के साथ बाजारों में उमड़ने लगी भीड़ तो वह देर रात बनी रही।

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वैभव की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत मंगलवार को धनतेरस के साथ हो गई। बाजार में बर्तनों के साथ जगह-जगह गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा की दुकानें सज गई और उस पर खरीदारों की भीड़ भी शुरू हो गई। बाजार में दिन ढलने के साथ खरीददारों की भीड़ उमड़ पड़ी। त्योहार के उत्साह का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है नगर के मुख्य चौक क्षेत्र की सड़क सुबह से ही जाम की गिरफ्त में थी।

धनतेरस के दिन नए बर्तनों, जेवर आदि की खरीददारी की परंपरा रही है। इस दिन लोगों ने बर्तनों व जेवरों के अलावा अन्य सामानों की खरीददारी की।

सुबह से ही सड़क किनारे बर्तनों व लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा की दुकानें सज गई थीं। स्थायी दुकानों के साथ सड़क किनारे अस्थाई दुकानें भी लगाई गई थीं तो वहीं ठेले पर भी बर्तन बेचने वाले सुबह से ही गलियों में घूमने लगे थे। महीने का तीसरा सप्ताह होने के बाद भी बाजार में ग्राहकों की आमद अच्छी रही। हां, ज्यादातर लोगों का झुकाव स्टील के बर्तनों की ओर था। पीतल और फूल के बर्तनों की मांग स्टील की अपेक्षा काफी कम रही।

दूसरी ओर जिनके पास धन की कमी नहीं थी, उन्होंने सराफा की दुकान पर सोने व चांदी के सिक्कों तथा नोट खरीदे तो किसी ने सोने-चांदी के जेवर। माना जाता है कि नए बर्तनों और जेवर के साथ घर में लक्ष्मी का प्रवेश होता है। इलेक्ट्रानिक्स सामानों में वाशिंग मशीन और एलसीडी टीवी की मांग ज्यादा रही तो वाहनों की खरीद भी ठीकठाक रही। शाम को अनाज की ढेरी पर दीप जलाकर तथा उस पर खरीदे गए बर्तन व जेवर को रखकर वर्ष भर सम्पन्नता के लिए मां लक्ष्मी से कामना की गई। दूसरी ओर आयुर्वेद प्रतिष्ठानों में वैद्यराज धनवंतरि की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई और लोगों ने आरोग्य का वरदान मांगा।


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