चारों ओर आस्था का सैलाब
आजमगढ़ : वर्ष में दो बार मां की आराधना का विशेष समय मिलता है लेकिन शारदीय नवरात्र में कुछ अलग ही उत्साह दिखता है। कुछ इसी तरह का उत्साह दिख रहा है शारदीय नवरात्र में। चौथे दिन भी लगा कि पूरा जनपद देवी आराधना में लीन सा हो गया है। देवी मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।
मंदिरों में घंट-घड़ियाल की ध्वनि के बीच माता को प्रसन्न किया जा रहा है तो घरों में भी देवी की स्तुति की जा रही है। घरों में स्थापित कलश के सामने सुबह-शाम लोग दीपक जलाकर देवी के सामने शीश झुका रहे है। कोई दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहा है तो कहीं दुर्गा चालीसा का पाठ हो रहा है। शहर के मुख्य चौक पर स्थित सिद्ध स्थल दक्षिण मुखी देवी मंदिर, कोलघाट गांव के रमायन मार्केट स्थित दुर्गा, शिव, साई मंदिर, बड़ादेव, रैदोपुर स्थित दुर्गा मंदिर, पल्हना क्षेत्र के पाल्हमेश्वरी धाम, निजामाबाद क्षेत्र के शीतला माता मंदिर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है।
उधर नवरात्र में विन्ध्याचल भवानी और चौकिया धाम के दर्शन की भी परंपरा है इसलिए प्रतिदिन शहर से लोग उक्त धाम के लिए रवाना हो रहे है। देवी स्थानों पर इन दिनों मेले जैसा दृश्य दिखाई दे रहा है। पूरा जनपद देवीमय हो गया है। नौ दिन व्रत रखने वाले नियमित मंदिरों में पहुंच रहे है। व्रत पर्व होने के कारण शहर से लेकर गांवों तक में फलों की बिक्री भी तेज हो गई है। व्रत को देखते हुए चाय-पान के दुकानदार भी इस समय साफ-सफाई का पूरा ध्यान दे रहे है।
उधर दुर्गा पूजा के साथ दशहरा की तैयारियां धीरे-धीरे अब जोर पकड़ने लगी है। एक तरफ जहां देवी मइया के जयकारे से पूरा वातावरण सुबह-शाम गूंज रहा है, वहीं प्रतिमा स्थापना के लिए पंडालों को अंतिम रूप देने के लिए कारीगर दिन-रात जुटे हुए है। मूर्ति कलाकार प्रतिमाओं में रंग भरने का काम तेज कर दिए है। विद्युत सजावट का काम भी शुरू हो गया है। घर-घर में कलश के सामने लोग देवी की आराधना में लीन नजर आ रहे है। कहीं लोग खुद पूजा कर रहे है, तो कहीं पुरोहितों से अनुष्ठान कराया गया है।
ग्रामीण अंचलों में बनाए गए पूजा पंडालों में देवी प्रतिमाओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। सप्तमी से प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा का क्रम शहर में भी शुरू हो जाएगा। कुछ स्थानों पर प्राण प्रतिष्ठा भी हो गई है।
वैसे यहां बता दें कि इस शहर में प्राण प्रतिष्ठा का कोई निर्धारित समय नहीं है। कहीं पहले दिन प्रतिमा की स्थापना हो जाती है, तो कहीं सप्तमी के बाद भी होती है।
कुल मिलाकर दुर्गा पूजा में जहां हर तरफ वातावरण देवीमय हो गया है, वहीं जैसे-जैसे दशहरा की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे हर तरफ रौनक बढ़ती जा रही है।