सदर संसदीय सीट पर टिकीं निगाहें
फूलपुर (आजमगढ़) : सोलहवीं लोकसभा चुनाव में जहां पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए युवा मन बेसब्री से 12 के दिन का इंतजार कर रहा है। वहीं मतदाताओं की खामोशी प्रत्याशियों को दिन-रात पसीना बहाने को मजबूर कर रही है। सदर सीट से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के मैदान में आ जाने से चुनाव काफी रोचक मोड़ पर आ गया है। अब लोगों द्वारा यहां पर त्रिकोणीय संघर्ष के आसार जताया जा रहा है। वहीं लालगंज सुरक्षित सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष के आसार नजर आ रहे हैं। भाजपा, सपा व बसपा के कार्यकर्ता जातिगत व मूलगत आधार पर गुणा-गणित कर खुद वोटों का बंटवारा करके एक दूसरे से भारी दिखलाने का दम भर रहे हैं। सपा जहां एमवाइ फैक्टर के साथ कुछ प्रतिशत अन्य को साथ लेकर अपनी जीत पक्की मान रही है तो बसपा दलित ब्राह्माण और मुस्लिम वोट के सहारे अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिखाई दे रही है। वहीं भाजपा नरेंद्र मोदी की हवा व मूलगत वोटों के साथ हर वर्ग का वोट मिलने का भरोसा जता रही है। अपने-अपने तरीके से प्रत्याशी व समर्थक जनसंपर्क कर रहे हैं। उनके द्वारा अपने-अपने तरीके से वोटरों से वादों की झड़ी लगाकर उन्हें अपने पक्ष में लुभाने में लगे हुए हैं। वहीं मतदाता सबका अभिवादन स्वीकार करने साथ ही सबकी हां में हां मिला रहे हैं। सबकी हां में हां मिलाते मतदाताओं को देखकर प्रत्याशियों की नींद उड़ना स्वाभाविक है। स्थानीय क्षेत्र लालगंज लोकसभा क्षेत्र में आने के बाद भी यहां के लोगों की निगाहें सिर्फ आजमगढ़ सदर सीट पर लगी हुई हैं। क्षेत्र के चट्टी-चौराहों पर इसी सीट को लेकर चर्चा भी हो रही है और हो भी क्यों न जब सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव खुद इस सीट से चुनाव मैदान में कूद पड़े हों। मतदान की तिथि नजदीक आने के साथ ही लोगों के दिल की धड़कनें भी बढ़ती जा रही हैं। 16 मई को मतगणना के बाद ही इन चुनावी चर्चाओं पर विराम लगेगा।