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सूरज ने तरेरी आंख, पशु-पक्षी बेहाल

By Edited By: Published: Sat, 19 Apr 2014 07:39 PM (IST)Updated: Sat, 19 Apr 2014 07:39 PM (IST)
सूरज ने तरेरी आंख, पशु-पक्षी बेहाल

आजमगढ़ : अप्रैल महीना का अंतिम पखवारा चल रहा है। ऐसे में अभी से मई-जून की तपिश का एहसास हो रहा है। सूर्य देवता मानों आग उगल रहे हैं। सुबह-शाम छोड़ दिया जाए तो सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है। इसकी वजह से पशु-पक्षी सभी परेशान हैं। नगर पालिका व प्रशासन की तरफ से कहीं भी प्याऊ की व्यवस्था नहीं की गई है। दूसरी तरफ शुक्रवार की रात अचानक आंधी व बूंदाबांदी से किसानों के चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगी लेकिन रविवार की सुबह मौसम साफ होने पर किसानों ने राहत की सांस ली और गेहूं मड़ाई के कार्य में जुट गए।

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वर्तमान में सुबह नौ बजे के बाद ही चिलचिलाती धूप निकल जा रही है। इसकी वजह से लोग सुबह ही उठकर अपने कार्यो को जहां निबटा रहे हैं वहीं 10 बजे के बाद सड़कों पर सन्नाटा पसर जा रहा है। कार्यालय जाने वाले किसी तरह गमछा, टोपी आदि लगाकर अपने कार्यालयों तक पहुंच रहे हैं। सबसे बुरी स्थिति छात्रों की है। दोपहर एक बजे के करीब छुट्टी होने पर वह अपने घरों को चिलचिलाती धूप में आ रहे हैं। इससे बच्चे बुखार आदि से पीड़ित हो जा रहे हैं। दोपहर में सूर्य देवता तो जैसे आग ही उगल रहे हैं। चिलचिलाती धूप में सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है। भीषण गर्मी से पशु-पक्षी भी परेशान नजर आ रहे हैं। ताल-तलैया, नदी, पोखरे में भी पानी तलहटी में चला गया है। इससे पशुओं के पीने के पानी का संकट खड़ा हो गया है। लोगों का कहना है कि अभी अप्रैल में यह हाल है तो मई व जून की तपिश में क्या होगा, इसका सहज ही कयास लगाया जा सकता है। ग्रामीण व शहर क्षेत्रों में हैंडपंपों ने पानी छोड़ना भी शुरू कर दिया है। इसकी वजह से लोगों के समक्ष पेयजल का संकट खड़ा हो गया है। शुक्रवार की रात में अचानक मौसम का रुख बदला और तेज आंधी के साथ बूंदाबूंदी भी शुरू हो गई। इससे किसानों के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी लेकिन आंधी व हल्की बूंदाबांदी के बाद शनिवार की सुबह मौसम खुल गया और किसान गेहूं की मड़ाई के कार्य में जुट गए।

गर्मी के चलते शहर में जगह-जगह नकली पेयजल पदार्थ भी बिकने शुरू हो गए हैं। यह लोगों को बीमारियों का खुला निमंत्रण दे रहे हैं। बावजूद स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अभी तक कोई मुहिम नहीं चलाई जहा रही है। चौक, पहाड़पुर, सब्जी मंडी, रोडवेज आदि स्थानों पर मैंगोशेक की दुकानें लगाई जा रही हैं। इसमें केमिकलयुक्त सैक्रीन का खुलेआम प्रयोग किया जा रहा है। गर्मी की तपिश में लोग मैंगोशेक व आदि पेयजल आसानी से पी रहे हैं।


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