दिलों में भक्तिगंगा और गंगा में गणेश प्रतिमाएं
आजमगढ़ : दोपहर बाद बैंड की धुन और गणपति का जयकारा। भक्तों के दिल में भी आस्था की गंगा और शाम को आदि गंगा तमसा में नम आंखों के बीच विसर्जित की गई गणेश की प्रतिमाएं। गणपति से प्रेम और आस्था का ही नतीजा था कि लोगों की आंखें नम हो गई। दूसरी ओर उत्साह इस बात का कि विघ्न विनाशक की पूजा निर्विघ्न संपन्न हो गई। शहर से लेकर गांव तक गणेश प्रतिमा स्थापित की गई थीं।
शहर के दामोदर कटरा में जिले में रहने वाले मराठा परिवार द्वारा सामूहिक रूप से गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके अलावा परिवार के लोग अपने घरों में भी प्रतिमा स्थापित कर पांच दिन तक पूजा करते हैं। सामूहिक रूप से स्थापित प्रतिमा के दर्शन के लिए गैर मराठा परिवार के लोग भी पहुंचते हैं। पांच दिवसीय गणेश महोत्सव के आखिरी दिन आरती-पूजन के बाद प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाया गया। विसर्जन यात्रा में शामिल भक्त अबीर-गुलाल उड़ाते बैंड की धुन पर थिरकते चल रहे थे।
दामोदर कटरे से दोपहर बाद शुरू विसर्जन शोभायात्रा अठवरिया मैदान पहुंची जहां मराठा परिवार व अन्य घरों की महिलाओं ने आरती-पूजन कर प्रभु को विदाई दी। उसके बाद यात्रा पुरानी सब्जीमंडी, राम-जानकी मंदिर, लालडिग्गी होते हुए कुर्मी टोला पहुंची। वहां समाज के अध्यक्ष संजय भोंसले के घर में स्थापित प्रतिमा को रथ पर रखा गया। इसी प्रकार रास्ते में पड़ने वाले मराठा परिवार के लोगों के घरों में स्थापित प्रतिमाओं को एक साथ विसर्जन के लिए ले जाया गया। विभिन्न मार्गो से होते हुए विसर्जन शोभायात्रा गौरीशंकर घाट पहुंची जहां समाज के लोगों ने गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ के उद्घोष के साथ प्रतिमा का विसर्जन किया। इस मौके पर संजय भोसले, केरप्पा संभाजी राव, संपत राव, अजय, रमेश, विजय, बब्बन, रोहित, राजू, रणधीर, रमेश पाटिल, संभा पाटिल आदि उपस्थित थे। विसर्जन शोभायात्रा के दौरान सुरक्षा के मद्देनजर कोतवाली पुलिस के अलावा पीएसी के जवान भी लगाए गए थे।
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