औरैया में बढ़ा गौरैया का कुनबा
जागरण संवाददाता, औरैया : गौरैया के संरक्षण को वन विभाग की ओर से किए गए प्रयास सार्थक हो रहे हैं। बीत
जागरण संवाददाता, औरैया : गौरैया के संरक्षण को वन विभाग की ओर से किए गए प्रयास सार्थक हो रहे हैं। बीते वित्तीय वर्ष 2015-16 में उनकी संख्या इतनी कम हो गई थी कि यदा कदा घरों में गौरैया देखने को मिलती थी। विभागीय अधिकारियों ने समाजसेवी संस्थाओं के सहयोग से जनपद में एक हजार घौंसले वितरित किए थे। इसका नतीजा यह हुआ कि घरों में टंगे इन घौंसलों में अब गौरैया रहने लगी हैं। इनका कुनबा इतना बढ़ गया है कि अक्सर छतों व घर के आंगन में इनकी चहचहाहट सुनी जा सकती है।
बीते एक दशक से जनपद में गौरैया की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है। बीते वित्तीय वर्ष में हालात इतने खराब हो गए थे कि शहर में यदा कदा ही किसी घर में गौरैया दिखाई देती थी। ग्रामीण इलाकों में एक दशक पूर्व बड़ी संख्या में लोग छप्पर बनाकर उनके नीचे रहते थे। इसमें गौरैया अपने घौंसला बनाकर रहती थी। धीरे-धीरे लोगों ने पक्के मकान बनवा लिए। इसके चलते गौरैया का घर उजड़ गया। वन विभाग के अधिकारियों ने गौरैया के संरक्षण को समाजसेवी संस्थाओं से अपील कर वित्तीय वर्ष 2015-16 में एक हजार लकड़ी के घौंसले एकत्रित किए थे। इन्हें पूरे जनपद में स्थित विभिन्न विद्यालयों के माध्यम से शहर से लेकर गांव तक बांटा गया। इसके बाद धीरे धीरे इनमें गौरैया रहने लगी। अब इनकी संख्या इतनी बढ़ गई है कि गांव से लेकर शहर तक घर के आंगन व छतों पर इनकी मधुर आवाज सुनाई देती है। गौरैया का कुनबा बढ़ने से उत्साहित वन विभाग के अधिकारियों ने इस वर्ष भी समाजसेवी संस्थाओं, आरा मशीन संचालकों तथा लकड़ी मंडी के व्यापारियों के सहयोग से 100 घौंसले एकत्रित किए थे। इन्हें विभिन्न स्कूलों में कार्यक्रम करके बांट दिया गया है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में उत्साहित वन विभाग ने अभी से हजारों घौंसले बटवाने का मन बना लिया है।
50 रुपये में तैयार होता है एक घौंसला
डिप्टी रेंजर औरैया लक्ष्मीकांत दुबे ने बताया कि एक घौंसले के निर्माण में 50 रुपये का खर्चा आता है। वन विभाग की ओर से इस कार्य में कोई धन खर्च नहीं किया गया है। क्षेत्रीय वनाधिकारी के आग्रह पर समाजसेवी संस्थाओं, आरा मशीन संचालकों व लकड़ी मंडी के व्यापारियों ने 100 घौंसले बनवाए थे। सभी घौंसले बांट दिए गए हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
क्षेत्रीय वनाधिकारी मुन्नालाल ने बताया कि जनपद में गौरैया की घटती हुई संख्या से वह ¨चतित थे। इसलिए उन्होंने बीते वर्ष स्वयं के प्रयास से समाजसेवी संगठनों से अपील कर एक हजार घौंसले एकत्रित किए थे। उन्हें पूरे जनपद में स्थित विद्यालयों में कार्यक्रम करवाकर बांट दिया गया था। इस वर्ष गौरैया की संख्या में बढ़ोत्तरी होने पर 100 घौंसले और बंटवाए गए हैं। आगामी वित्तीय वर्ष में बड़ी संख्या में घौंसले बंटवाए जाएंगे।