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नोटबंदी 6 : पत्थरों को तराशकर भगवान बनाने वाले परेशान

चित्रकूट,जागरण संवादादाता : अंग्रेजों के साथ बेसिन संधि के बाद छत्रपति शिवाजी के वंशज पेशवा अमृत राय

By Edited By: Published: Thu, 01 Dec 2016 07:10 PM (IST)Updated: Thu, 01 Dec 2016 07:10 PM (IST)
नोटबंदी 6 : पत्थरों को तराशकर भगवान बनाने वाले परेशान

चित्रकूट,जागरण संवादादाता : अंग्रेजों के साथ बेसिन संधि के बाद छत्रपति शिवाजी के वंशज पेशवा अमृत राय के साथ चित्रकूट की पावन धरा पर आए विशेष किस्म के कामगारों के दिन आजकल बदहाल हैं। हाईकोर्ट की मार के बाद जहां पहाड़ों से पत्थर निकलने में दिक्कत हो रही थी, वहीं अब नोटबंदी के कारण हुई समस्या के चलते अधिकांश पासी परिवार फाकाकशी के लिए मजबूर हो रहे हैं।

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जनपद में कुटीर उद्योग के नाम पर चलने वाला लकड़ी के खिलौनों का तो उद्योग पहले ही चाईनीज खिलौनों के कारण दम तोड़ चुका है। सिर्फ पत्थर के मूर्तियों के कारीगरों की जीविका ठेकेदारों के सहारे चलती थी। जो मूर्तियों को निर्माण कराते हैं और सीजन में उनको बाहर बेचते हैं लेकिन देखने में आ रहा है कि नोटबंदी से इस उद्योग में भी परेशानी बढ़ी है। ठेकेदार कारीगरों को पूरी मजदूरी भुगतान नहीं कर पा रहे हैं।

जिला मुख्यालय के पसियन टोला मोहल्ले में करीब दो दर्जन कारखानों पर सुबह से पत्थरों में टांकियों की आवाज गूंजने लगती है। काम करने वाले कारीगर इन दिनों थोड़ा मायूस हैं क्योंकि नोटबंदी के कारण उनको पूरी मजदूरी नहीं मिलती है। फिर भी इस आस के साथ काम पर लगे हैं कि आने वाले समय में हालात सामान्य होंगे और उनकी पसीने की कमाई मिलेगी। वैसे ही पत्थर की मूर्तियों की बिक्री रोज नहीं होती है। ठेकेदार रामकेश बताते हैं कि पत्थर के मूर्तियों की मांग नवरात्र, हनुमान जयंती और शिवरात्रि आदि धार्मिक पर्वो के समय अधिक होती है। बाकी समय में कोई घर आदि में मूर्ति की स्थापना करता है तो आ जाए बड़ी बात है। क्योंकि अधिकांश मूर्ति यहां पर हनुमान जी, दुर्गा माता व शंकर भगवान आदि की बनाई जाती है। दूसरी मूर्तियां सिर्फ आर्डर पर ही बनती हैं। जब से नोटबंदी हुई है उनकी एक भी मूर्ति नहीं बिकी है। न ही कोई नया आर्डर आया है। फिर भी वह कारीगरों को इधर-उधर से उधारी लेकर मजदूरी बांटते हैं।

बेजान पत्थर को टांकी से मूर्ति रुप देने वाले जगदीश, पप्पू, बृजेश, राजेंद्र और रवि आदि कहते हैं कि नोटबंदी तो अच्छी है लेकिन अब परेशानी हो रही है। ठेकेदार भी पूरी मजदूरी नहीं देता है। जिससे रोज का खर्च घर का पूरा नहीं होता है। फिर भी इस आस के साथ काम कर रहे हैं कि हालात आने वाले समय में सामान्य होंगे। तो पूरी मजदूरी मिलेगी। घर में बैठकर क्या करेंगे। काम ही कर लें।


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