तालाबों को 'रामभरोसे' जैसे 'भगीरथ' की दरकार
औरैया, जागरण संवाददाता : हौसला बन जाए भागीरथ अगर इंसान का तो स्वर्ग से गंगा जमी पर खींचना आसान है। य
औरैया, जागरण संवाददाता : हौसला बन जाए भागीरथ अगर इंसान का तो स्वर्ग से गंगा जमी पर खींचना आसान है। यह पंक्तियां सटीक बैठती हैं अजनपुर गांव के रामभरोसे के हौसले पर। न सरकारी सहायता, न एनजीओ की एप्रोच, न कोई तामझाम न खुद के प्रचार की ख्वाहिश। गढ़ी वाले तालाब के नाम से प्रसिद्ध जलाशय को देखकर एक बार तो आखों पर भरोसा नहीं होता है। मिट्टी सुखा देने वाली गर्मी में साफ पानी से भरा तालाब कुछ अलग ही नजर आता है।
अजनपुर का यह तालाब इस भीषण गर्मी में भी लबालब है। दो साल पहले तक इस तालाब की यह स्थिति नहीं थी। यह भी अन्य तालाबों की तरह सूखा पड़ा था। 2014 में गांव के रामभरोसे के कई जानवर गर्मी में पानी की कमी से मर गए थे। इस के बाद उसने तालाब का कायाकल्प करने की ठान ली। एक बार फावड़ा उठाया तो मुश्किलों के झाड़ झंकाड़ राम भरोसे की हिम्मत और हौसले के सामने धराशाई होते चले गए। दो बीघा क्षेत्र में उगी झाड़ियां काटने में करीब तीन माह लग गए। अपने परिवार के लोगों के सहयोग से तालाब की किनारे की पट्टियां दुरुस्त कीं। इस काम में करीब एक माह और लग गया। तभी बरसात आ गयी और तालाब में काम भर का पानी एकत्र हो गया। यदि यह पानी भीषण गर्मी के सामने तालाब का अस्तित्व बचाने में समर्थ नहीं था सो तालाब भरने के वैकल्पिक तरीके तलाश किए। पास के ट्यूबवेल के जरिए तालाब में पानी संग्रहीत किया। यह प्रक्रिया बीते दो साल से अनवरत चल रही है। यही वजह है कि झुलसा देने वाली गर्मी में भी रामभरोसे का तालाब लबालब नजर आता है। गांव भर के पशु यहां अपनी प्यास बुझाते हैं। तालाब में पली मछलियां रामभरोसे के परिवार की आजीविका भी बन गई हैं। इसके अलावा हजारों जीव जंतुओं और पशु पक्षियों के लिए भी यह तालाब शरणस्थली बन गया है। सुबह शाम गांव के बच्चे इस देहाती स्वि¨मग पूल में डुबकियां लगाने से भी नहीं चूकते।