नौगवां में आधा दर्जन और बीमार
दिबियापुर, औरैया, संवाद सूत्र : क्षेत्र के गांव नौगवां में हैजे का प्रकोप रुकने का नाम नहीं ले रहा ह
दिबियापुर, औरैया, संवाद सूत्र : क्षेत्र के गांव नौगवां में हैजे का प्रकोप रुकने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को भी आधा दर्जन से ज्यादा मरीजों को सहार सीएचसी में भर्ती कराया गया जबकि कई मरीज अपना इलाज प्राइवेट अस्पतालों में करा रहे हैं। जिला अस्पताल में पहले से ही काफी मरीजों का इलाज चल रहा है। गांव में तैनात डाक्टरों की टीम भी हैजा रोक पाने में असफल दिख रही है।
शुक्रवार को गांव की काजल, नेहा, दुर्गा, कामिनी पुत्री शिवाजी, शोभन पुत्र जितेंद्र, पूनम पुत्र गेंदा लाल, सरिता पुत्र जिलेदार को उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। सहार सीएचसी में रोहन पुत्र कोमल, जयराम, कौशिल्या पत्नी जय प्रकाश, सतेंद्र पुत्र राजू, दीक्षा पुत्री मनोज का सहार सीएचसी में उपचार चल रहा है। सहार सीएचसी प्रभारी डा. राकेश ¨सह अपनी टीम के साथ गांव में मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि शाम तक स्थिति को नियंत्रण में कर लिया जाता है। सुबह फिर लोगों में बीमारी शुरू हो जाती है। कहा कि पानी को जांच के लिए भेजा गया है। उच्च अधिकारियों को सारी जानकारी से अवगत कराया जा रहा है। गांव के सत्यभान, सुघर ¨सह, जिलेदार का कहना है कि गांव में हैजा की बीमारी फैलने के बाद भी कोई सुविधा मुहैया नहीं करायी जा रही है। खाना पूर्ति के लिए दवाएं बांटी जा रही हैं। भारत ¨सह का कहना है कि उसकी पुत्री नेहा की हालत बिगड़ गई। ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं था। ऑटो किराए पर लेकर अस्पताल में भर्ती कराया। उपचार के नाम पर खाना पूर्ति की जा रही है। भर्ती मरीजों को अस्पताल के बाहर छोड़ दिया जाता है इससे मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गांव के सत्यभान का कहना है कि मरीजों को सीधे जिला अस्पताल में भर्ती कराया जाए, तभी उनका ठीक से उपचार संभव है।
सीधे जिला अस्पताल भेजने की मांग
ग्राम प्रधान प्रियंका दुबे का कहना है कि सहार सीएचसी की जगह जिला अस्पताल में लोग अपना उपचार कराना चाहते हैं। जिला अस्पताल की दूरी 15 किमी है। जबकि सीएचसी भी 25 किमी पर स्थित है। मरीजों को सहार से जिला अस्पताल रेफर किया जाता है। इससे मरीज व परिजनों को परेशानी होती है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां लगा इंडिया मार्का हैंडपंप भी खराब है। उन्होंने जल निगम से सही कराने को कहा था। काफी समय बीत जाने के बावजूद भी आज तक दुरुस्त नहीं हुआ है। गांव में एक दर्जन से ज्यादा कुएं हैं। इसमें आठ कुओं से लोग पानी भरते हैं। बीमारी की वजह पानी भी हो सकती है। ऐसा ग्रामीणों का मानना है। हालांकि कुओं के पानी को जांच के लिए भेजा गया है।