चीखें, बेबसी, आंसू, अफर-तफरी और दहशत
औरैया, जागरण संवाददाता: आग से घिरा पूरा मोहल्ला, उसके बीच बेबस और लाचार ग्रामीण। गोहना गांव में आग क
औरैया, जागरण संवाददाता: आग से घिरा पूरा मोहल्ला, उसके बीच बेबस और लाचार ग्रामीण। गोहना गांव में आग के दौरान मंजर इतना भयावह था कि चारों ओर चीखें, बेबसी, आंसू, अफरा-तफरी और दहशत के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। पूरा जीवन लगाकर कमाई गई संपत्ति आग की लपटें लील रही थी और जान हथेली पर रख कर आग बुझाने की कोशिश कर रहे ग्रामीण लाचार नजर आ रहे थे। हजारों लोग बाल्टियां लिए मौजूद थे, लेकिन बाल्टियों के लिए पानी कहीं भी मयस्सर नहीं हो रहा था। बाल्टियां खाली थी और आंखों में पानी था।
राम स्वरूप के छप्पर से आग की लूक फूटी तो उसके सीने से हूक भी फूट पड़ी। एक के बाद एक घर के कमरे और उनमें रखी संपत्ति धू-धू कर जलते देख वह चीत्कार कर उठा। यही आलम पूरे मोहल्ले का था क्या पुरुष, क्या महिलाएं, क्या बच्चे सब भगवान से एक ही प्रार्थना कर रहे थे कि किसी तरह आग बुझ जाए। आग बुझाने की कोशिशें जारी थी, लेकिन पानी के अभाव में वह विफल हो रही थी। मोहल्ले के कुएं में एक साथ दर्जन भर बाल्टियां फांसीं गई, लेकिन उसमें कीचड़युक्त राबड़ के अलावा कुछ नहीं निकला। एक मात्र हैंडपंप दस बाल्टी पानी निकालने के बाद जवाब दे गया। तालाब खासा दूर था और उसमें भी ज्यादा पानी नहीं था। ग्रामीण वहां से पानी की बाल्टी भर कर चलते, लेकिन दौड़ कर आते-आते उसमें से आधा पानी छलक जाता। भयावह लपटों में इतना पानी बेकार साबित हो रहा था। आग लगने के दौरान बिजली भी नहीं थी, जिससे गांव के सबमर्सिबल व ट्यूबवेल भी चालू नहीं किए जा सके। मोहल्ले के चौदह घर आग की लपटों में घिर गए और मोहल्ले के लोग बेबस आंखों से खून पसीने से कमाई गई संपत्ति खाक होते देखने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे थे। वृद्ध महिलाएं हाथ जोड़ कर भगवान से रहम की भींख मांगती नजर आईं।