लक्ष्य से दूर माइक्रो कामधेनु
औरैया, जागरण संवाददाता : मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी और लीड बैंक के मैनेजर माइक्रो कामधेनु योजना का ल
औरैया, जागरण संवाददाता : मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी और लीड बैंक के मैनेजर माइक्रो कामधेनु योजना का लक्ष्य पूरा करने के लिए जीतोड़ प्रयास कर रहे हैं, लेकिन बैंक मैनेजरों की अनदेखी के चलते यह योजना अभी लक्ष्य से बहुत दूर है।
माइक्रो कामधेनु योजना के तहत वर्ष 2015-2016 में जिला प्रशासन के पास 30 दूध डेरी खुलवाने का लक्ष्य था। इनमें से करीब 10 डेरी तो पहले खुल चुकी हैं, लेकिन बैंकों की अनदेखी के कारण शेष डेरियों का काम अधर में लटका हुआ है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. चंदन शर्मा, सीडीओ सत्येन्द्र नाथ चौधरी और लीड बैंक के मैनेजर दूधनाथ शेष बची योजनाओं के लिए आवेदन करने वाले लाभार्थियों का साक्षात्कार भी ले चुके हैं। उन्होंने बैंको को ऋण देने के लिए फाइलें भी आगे बढ़ानी शुरू कर दी हैं, लेकिन बैंक अधिकारियों की लापरवाही इस योजना को लक्ष्य तक पहुंचने में आड़े आ रही है। जनपद में खुली बैंक इस समय केवल अपना उल्लू सीधा करने में जुटी हैं। बैंकों की सभी शर्तें पूरी करने के बावजूद लाभार्थियों को बैंक मैनेजर धीरे से टरका देते हैं। एनआरएलएम और विकास भवन स्थित विभिन्न कार्यालयों की ओर से चलने वाली कई सरकारी योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए लोन की आवश्यक्ता होती है। इन विभागों से तो लोन के लिए मंजूरी दे दी जाती है, लेकिन बैंक मैनेजर इसके लिए भी लोन देने से कतराते हैं। लाभार्थियों इसके लिए बैंक मैनेजरों की परिक्रमा करते-करते जब थक जाते हैं, तो वह योजनाओ को न चाहते हुए अधर में छोड़ देते हैं। माइक्रो कामधेनु योजना के तहत लोन लेने के लिए लाभार्थी को अपने खाते में सात लाख रुपए जमा करने पड़ते है। साथ ही 20 लाख के लोन के लिए करीब 30 लाख रुपए मूल्य की प्रापर्टी की जमानत देनी पड़ती है। कई लाभार्थी इन सभी शर्तों को पूरा करने को तैयार हैं। इसके बावजूद बैंकों के मैनेजर लोन देने को तैयार नहीं हैं। उनका तुर्रा है कि उनको केवल 2 लाख तक का लोन देने के अधिकार दिए गए हैं। अधिक लोन के लिए ऊपर से आदेश लेने पड़ते हैं। उच्च अधिकारी अधिक लोन देने की अनुमति नहीं देते हैं। इसके चलते वह सरकारी योजनाओं के अंतर्गत लोन देने में भी कतराते हैं। लाभार्थियों का कहना है कि जब वह लोन के लिए उससे ज्यादा की गारंटी देते हैं, तो उसे पास करने में बैंक अधिकारियों को लापरवाही नहीं दर्शानी चाहिए। लाभार्थियों का आरोप है कि कुल ऋण के 10 फीसद कमीशन के चक्कर में उनको परेशान किया जाता है। कुछ कर्मचारी इसके लिए बैंक अधिकारियों के दलाल के रूप में काम कर रहे हैं। यदि जिलाधिकारी ने इस मामले पर स्वयं कोई कदम नहीं उठाया, तो कभी भी कोई सरकारी योजना जो बैंक ऋण की मोहताज है, अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकती है। डीसी एनआरएलएम बाल गो¨वद शुक्ला और सीवीओ चंदन शर्मा भी इस समस्या पर कई बार ¨चता जता चुके हैं। लीड बैंक के मैनेजर दूधनाथ का कहना है कि वह लाभार्थियों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। चाहे इसके लिए डीएम तक क्यों न जाना पड़े।