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आस्था के सैलाब में आकंठ डूबे भोलेनाथ

औरैया, जागरण संवाददाता : पवित्र माह सावन के अंतिम सोमवार पर भोलेनाथ के भक्त तो श्रद्धा में डूबते, उत

By Edited By: Published: Mon, 24 Aug 2015 07:57 PM (IST)Updated: Mon, 24 Aug 2015 07:57 PM (IST)
आस्था के सैलाब में आकंठ डूबे भोलेनाथ

औरैया, जागरण संवाददाता : पवित्र माह सावन के अंतिम सोमवार पर भोलेनाथ के भक्त तो श्रद्धा में डूबते, उतराते दिखे ही। उनकी आस्था के सैलाब में खुद भोले बाबा भी आकंठ नजर आए। भोर की पहली किरन बाद में निकली और शिवभक्त पहले ही अवढर दानी का जलाभिषेक करने शिवालयों में जा पहुंचे। तड़के शुरू हुआ हर-हर, बम-बम का नाद पूरे दिन गूंजता रहा। मंदिरों में भंडारे हुए तो दूर दूर से जल लेकर भोलेनाथ का अभिषेक करने पहुंचे कांवरिया रात में भी यात्रा कर शिव धाम जाते दिखाई पड़े।

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यमुना तट स्थित देवकली मंदिर के आसपास जैसे आस्था समुद्र बनकर उमड़ पड़ी हो। चारों ओर बाबा के भक्त हाथ में कलश और बेलपत्र लिए उनके दर्शन को लालायित नजर आए। सुबह 4 बजे स्थिति यह थी कि महिला व पुरुष श्रद्धालुओं की कतारें मंदिर की डयोढ़ी से 500 मीटर दूर तक लगी थीं। श्रद्धा से लवरेज शिव भक्त पुरजोर स्वर में बम विश्वनाथ के साथ भोलेनाथ की जयजयकार कर रहे थे। लोगों के मन में जल्द दर्शन पा लेने की आकांक्षा जरूर थी, लेकिन पूरे धैर्य के साथ वह लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए। मंदिर के अंदर का नजारा और भी शानदार था। गर्भगृह श्रद्धालुओं से खचाखच भरा था। कोई दूध की धार से बाबा का पूजन कर रहा था तो कोई गंगा के पानी से जलाभिषेक कर रहा था। गर्भगृह में चार सेवादार लगातार बेलपत्र, धतूरा, फूल और भोग विग्रह से हटा रहे थे। इसके बावजूद भोलेनाथ लोगों की आस्था के सैलाब में आकंठ नजर आ रहे थे। मंदिर में कहीं भी तिल रखने को भी जगह नजर नहीं आ रही थी। लोगों को संभालने में खाकी भी पसीना- पसीना नजर आ रही थी। इसके अलावा स्काउट गाइड के स्वयंसेवक भी श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे। यहां बीते एक माह से चल रहे मेले में भी अंतिम सोमवार पर जमकर खरीदारी हुई। पूजन करने आई श्रद्धालु महिलाओं ने ¨सदूर व श्रंगार प्रसाधन के साथ घर गृहस्थी के सामान की भी खरीदारी की। श्रद्धालुओं के साथ आए बच्चे झूलों पर आनंद लेते दिखे। शहर के सत्तेश्वर, भूतेश्वर, भालेश्वर, गौरैया तालाब मंदिर, आवास विकास स्थित काली माता मंदिर पर पूजन अर्चन का दौर चलता रहा। अजीतमल, मुरादगंज, बिधूना, सहार, सहायल, एरवाकटरा, अछल्दा, फफूंद, दिबियापुर, कंचौसी आदि कस्बा व ग्रामीण इलाकों में भी भोले के भक्त आस्था के सैलाब से लवरेज दिखे।


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