'खतरे' में सांसद के गांव का तालाब
अजीतमल (औरैया) संवाद सहयोगी : कभी एक किसान ने हफ्तों फावड़ा चलाकर अपना पसीना बहाकर नहर से पानी लाकर
अजीतमल (औरैया) संवाद सहयोगी : कभी एक किसान ने हफ्तों फावड़ा चलाकर अपना पसीना बहाकर नहर से पानी लाकर इस तालाब को भरा था। उस किसान का पसीना भले अब तक न सूखा हो, लेकिन हैदरपुर का यह तालाब सूखने के कगार पर है। तालाब की यह हालत तब है जब जिले के सर्वराकार सांसद इसी गांव के मूल निवासी है। ग्रामीणों को दिक्कत यह है कि चौपायो को पानी पिलाने के लिए तो भटकना ही पड़ रहा है। अगर कहीं अग्नि हादसा हो गया तो पानी की जुगाड़ करने में दमकल को भी पसीना आ जाएगा।
इटावा लोकसभा क्षेत्र के सांसद अशोक दोहरे के गांव हैदरपुर स्थित 300 वर्ष प्राचीन पक्का तालाब अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। ग्रामीण जनमानस भी तालाब की हालत देखकर आहत है। कभी गांव के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अमर ¨सह ने हफ्तों फावड़ा चलाकर आधा किलोमीटर दूर स्थित माइनर से रास्ता बनाकर तालाब भरा था। तैराकी के प्रति दीवानगी की हद तक चाहत रखने वाले इस स्वयंसेवी ने बच्चों को तैराकी सिखाने के लिए यह हाड़ तोड़ परिश्रम किया था। नई पीढ़ी आज भी उन्हें तैराकी का उस्ताद मानती है। यह तालाब कभी चौपायों को पानी पिलाने का प्रमुख स्त्रोत था। प्रशासनिक अनदेखी के चलते आज यह तालाब खुद प्यासा नजर आता है। अमर ¨सह आज भी रोज सुबह फावड़ा लेकर तालाब पर जाता है और किनारों पर जमा सिल्ट साफ करता है, लेकिन इस काम में उसके जिस्म से बहता पसीना तालाब को जलमग्न करने को पर्याप्त नहीं है। तालाब की दीवारें रखरखाव के अभाव में दरकने लगी है। तालाब देखकर कहा जा सकता है कि सरकार की जल संरक्षण योजनाएं महज कागजी हैं। यहां तक कि गांव के ही बेटे वर्तमान सांसद अशोक दोहरे भी तालाब के सौंदर्यीकरण और जल स्तर को लेकर गंभीर नजर नहीं आते हैं।