भक्ति व वैराग्य के प्रतीक 'भरत'
बाबरपुर(औरैया), संवाद सूत्र : मुड़ैना रामदत्त में चल रही रामकथा के सातवें दिन जगतगुरु रामभद्राचार्य न
बाबरपुर(औरैया), संवाद सूत्र : मुड़ैना रामदत्त में चल रही रामकथा के सातवें दिन जगतगुरु रामभद्राचार्य ने भरत के प्रसंग पर प्रकाश डाला। आचार्य ने कहा कि प्रभु भक्ति की चार विधाएं हैं। रामकथा ऐसा स्थान है, जहां बैठने से कामनाएं समाप्त हो जाती हैं। वहीं भरत चरित्र सुनने से भक्ति भाव उत्पन्न होता है। उन्होंने कहा कि भरत रामजी का भजन करते हैं, किंतु शास्त्रों के मुताबिक राम ने भरत की भक्ति की है। ऐसा करके उन्होंने भरत को उच्च पद प्रदान कर दिया। भक्त भगवान का भजन करते हैं तो भगवान भी भक्त का स्मरण करते हैं। गुरु वशिष्ठ की आज्ञा को भरत ने भक्ति भाव से नया मोड़ दे दिया। उन्होंने कहा कि सिंहासन पर सिंह बैठते हैं जो प्रभु राम हैं। भरत तो हंस हैं जिन्हें प्रभु की सेवा में ही आनंद आता है। संगीतमय भजन के दौरान आचार्य ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। आचार्य ने कहा कि भरत का चरित्र अथाह है। उन्होंने वन जाकर प्रभु की सेवा मांगी तो प्रभु राम ने चरण पादुका देकर उन्हें अपनी परम भक्ति प्रदान की। उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में सफाई अभियान चल रहा है। यह लोगों को स्वस्थ्य रखने का अभियान है और मैं भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों के मन में भरे अज्ञान के कचरे को साफ कर मानसिक सफाई का अभियान चला रहा हूं। रविवार को भीषण सर्दी के बावजूद 50 हजार श्रद्धालु पंडाल में दिखे। अनिल कुमार त्रिपाठी, सुशील त्रिपाठी, रजनीकांत शुक्ल, प्रणव दुबे, शिवम त्रिपाठी, मनीष, मयंक, शशांक आदि व्यवस्थाओं में लगे रहे।