हजारों 'हलकू' को 'पूस की रात' का डर
औरैया, जागरण संवाददाता : प्रसिद्ध कथाकार और उपन्यास लेखक मुंशी प्रेम चन्द्र ने ठेठ गांव की तस्वीर उक
औरैया, जागरण संवाददाता : प्रसिद्ध कथाकार और उपन्यास लेखक मुंशी प्रेम चन्द्र ने ठेठ गांव की तस्वीर उकेरते हुए गरीब हलकू की व्यथा पूस की रात कहानी में उभारी थी। जनपद के नजरिये से देखे तो यहां हजारों हलकू उसी तरह सर्दी से कंपकंपाते हुए रात गुजारने को विवश हैं। प्रशासन की ओर से गरीबों को सुविधाएं दिए जाने के तमाम दावे किए जाते हैं, लेकिन असल जरूरतमंद तक यह इमदाद पहुंच ही नहीं पाती।
स्थानीय पुराना नुमाइश मैदान में पालीथिन की झोपड़ी में कड़ाके की ठंड झेल कर रात दिन काट रही राम बिटोली की पीड़ा यह है कि सरकारी हाकिम और स्वयंसेवी संस्थाओं के लोग कंबल वितरण करने के दावे जरूर कर रहे हैं, लेकिन ककुरती देह को गर्माहट देने के लिए उसे आज तक कंबल नहीं मिला। यही हाल कानपुर रोड पर झोपड़ी में रह रहे शंकर सिंह का है। यह पूरा परिवार फूस और टंट्टर की एक झोपड़ी में ही सर्दी की रातें गुजार देता है। इन्हें न तो आज तक पक्की छत मुहैया हो सकी और न ही सर्दी से बचने को इमदाद हासिल हुई।
रैन बसेरा भी नहीं
प्रमुख रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के निकट सुविधायुक्त रैन बसेरा बनाए जाने की घोषणा सरकार की ओर से जरूर की गई है, लेकिन जिले में कहीं भी रैन बसेरा नजर नहीं आता। जिला अस्पताल में मरीज की तीमारदारी करने आए लोग खुले में रात बिताने को विवश हैं।
मुफलिसों की बस्ती तक नहीं पहुंचते अलाव
सरकारी विभाग और समाजसेवा का दावा करने वाले प्रमुख चौराहों और सड़कों के किनारे लकड़ी जलाकर मीडिया कवरेज की जुगाड़ भले ही लगाते हो, लेकिन मलिन बस्तियों में बिना गर्म कपड़ों के रात गुजारने वालों तक अलाव की आंच भी नहीं पहुंच पाती। जरूरतमंदों की दरकार यह है कि यहां पात्रों का चयन कर सहायता प्रदान की जाए।
हर जरूरतमंद तक पहुंचेगी सहायता
उपजिलाधिकारी सदर जितेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि जल्द ही गेल व एनटीपीसी से कंबल की बड़ी खेप आनी है। इसके बाद जगह -जगह शिविर लगाकर जरूरतमंदों को वितरण किया जाएगा। इसके अलावा रैन बसेरा बनाने के लिए जगह चिह्नित की जा रही है जल्द ही लोगों को इसकी सुविधा मिलेगी।