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हाईवे 18 घंटे से अधिक जाम

बाबरपुर (औरैया), संवाद सूत्र : सिक्स लेन हाईवे प्रोजेक्ट के तहत आम जनमानस को सुविधाएं तब मिलेंगी। यह

By Edited By: Published: Tue, 16 Dec 2014 01:03 AM (IST)Updated: Tue, 16 Dec 2014 01:03 AM (IST)
हाईवे 18 घंटे से अधिक जाम

बाबरपुर (औरैया), संवाद सूत्र : सिक्स लेन हाईवे प्रोजेक्ट के तहत आम जनमानस को सुविधाएं तब मिलेंगी। यह तो नहीं पता किंतु इतना जरूर है कि प्रोजेक्ट से लोगों की मुश्किलें फिलहाल उम्मीद से अधिक बढ़ गई हैं। कारण है कि सिक्स लेन निर्माण कार्यदायी संस्था द्वारा की जा रही खामियां वाहन चालकों के लिए परेशानी बना हुआ है। इन्हीं खामियों के चलते रविवार दोपहर बाद से लगे हाइवे पर जाम से कई आपातकालीन लोगों के वाहन सहित हजारों वाहन जाम में फंसे रहे। यहां तक कि एम्बुलेंस सेवा भी घंटों इस जाम से जूझती रही और लोग निर्माणदायी संस्था को कोसते देखे गए।

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हाइवे निर्माण को लेकर निर्माणदायी संस्था द्वारा डायवर्जन ठीक तरह से न किए जाने के कारण आए दिन जाम की समस्या बनी रहती है। फोरलेन हाइवे पूर्ण रूपेण बना हुआ है। बावजूद इसके सिक्स लेन हाइवे के बनाने में निर्माण कर्मचारी खामियां पैदा करके सिर्फ एक ही रूट से दोनों तरफ के वाहनों को निकाल रहे हैं। कई जगह डायवर्जन के बोर्ड तो लगे हैं, किंतु वहां से मोड़ पर निर्माण के चलते इतनी मिट्टी आ गयी है कि वाहनों को रूट डायवर्ट करने पर खतरों से जूझना पड़ता है। पुरानी फोरलेन को ही दोनों तरफ से बढ़ाकर सिर्फ एक लाइन पर ही बारी-बारी से रोक कर एक तरफ के वाहनों को निकालने से भयंकर जाम की समस्या आ रही है। एक ओर पुलिस प्रशासन व्यवस्था को दुरुस्त बनाए रखने में स्टाफ की कमी दिखाई पड़ती है, वहीं दूसरी ओर गश्त करके सुरक्षा व्यवस्था में नई पुलिस की सारी ऊर्जा जाम हटाने में लग रही है। कोतवाली प्रभारी बृजमोहन ने बताया कि रूट डायवर्जन सही न होने की वजह से एक ही रूट पर दोनों ओर के वाहन का निकलना सबसे बड़ी जाम की समस्या पैदा कर रहे हैं।

कभी फोरलेन तो सिक्स लेन पर चलने का सपना सजोने वाले वाहन अब किसी सिंगल रोड पर चलना बेहतर समझ रहे हैं। निर्माणदायी संस्था की खामियों के चलते एक घंटे में तय होने वाली दूरी तीन व चार घंटे में तय करनी पड़ रही है। निर्माणदायी संस्था की मनमानी रूट डायवर्जन से आम जनमानस के वाहन तो जाम में फंसकर अपनी किस्मत को कोसते ही हैं, वहीं पुलिस प्रशासन भी हाइवे निर्माण की खामियों के आगे बेबस नजर आता है। एम्बुलेंस जैसे आपातकालीन वाहनों सहित वीआइपी व प्रशासनिक वाहनों को जाम में फंसना पुलिस के लिए मुसीबत खड़ा कर देता है और यात्री बेबस भरी नजरों से इधर से उधर दौड़ते हुए किसी तरह वाहनों के आवागमन को ठीक करते नजर आते हैं। निर्माणदायी संस्था द्वारा एक ही रूट से दोनों तरफ के वाहन निकालना, साथ ही साथ हाइवे फुटपाथ से मिट्टी गीली होकर हाइवे पर आ जाना दुर्घटना को भी आमंत्रण देता है। रविवार को एक ही रूट से निकलते समय बस व एक ट्रक मिट्टी से फिसलते हुए हाइवे पर तिरछे खड़े हो गए। आगे पीछे दोनों ओर जाम लग गया। बाद में दूसरी तरफ खोलकर वाहनों को निकालना शुरू किया। उन्नाव डिपो की बस इटावा से उन्नाव जाते समय मौहारी के समीप इसी जाम में फंसते हुए जब हाइवे पर किनारे निकलने का प्रयास किया तो गीली हो चुकी मिट्टी में एक ओर धंस गई। बस में बैठे यात्रियों में कोहराम मच गया और यात्री खिड़की के रास्ते कूदकर बाहर निकल पाए। लोगों के अनुसार यदि बस का पहिया चार इंच और बैठ जाता तो बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती थी। हाइवे पर वाहनों को उठवाने के लिए हाइवे क्रेन सेवा भी संचालित है, लेकिन एक रूट पर फंसे ट्रक तथा दूसरे रूट पर फंसी बस को निकालने के लिए हाइवे की क्रेन कहीं नजर नहीं आई। ऐसी स्थिति में बस के यात्रियों को किसी अन्य वाहन का सहारा लेना पड़ा।


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