बैंक खातों के झंझट ने घटाए संस्थागत प्रसव
औरैया, जागरण संवाददाता : शासन द्वारा जननी सुरक्षा योजना के लाभार्थियों को एकांउट पेई चेकों से भुगतान
औरैया, जागरण संवाददाता : शासन द्वारा जननी सुरक्षा योजना के लाभार्थियों को एकांउट पेई चेकों से भुगतान की बाध्यता के चलते संस्थागत प्रसव की संख्या घट गई है। बैंक खाता खुलवाने के झंझट के चलते महिलाएं सरकारी अस्पतालों के बजाय निजी अस्पतालों में जा रही हैं। इस बार पिछले वर्ष की तुलना में 1044 संस्थागत प्रसव कम हुए।
पिछले वित्तीय वर्ष तक सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने वालों को ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपए तथा शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपए की बेयरर चेक प्रदान की जाती थी, लेकिन वित्तीय वर्ष 2014-15 से इस व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए लाभार्थियों को एकाउंट पेई चेक द्वारा भुगतान किए जाने की व्यवस्था लागू कर दी। जिसकी वजह से लाभार्थियों को खाता खुलवाने के बाद ही भुगतान मिल पाता था। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकतर महिला लाभार्थियों के खाते न होने के कारण महिलाओं को खाता खुलवाना पड़ता था। ऐसे में 1000 रुपए बैंक खाते में रहने के कारण लाभार्थी को 400 रुपए मिल पाते थे जिसके चलते संस्थागत प्रसव की संख्या में कमी आई है। इस व्यवस्था के लागू होने से सितंबर माह तक कुल 7,706 लाभार्थियों को चेकें प्रदान की गई हैं, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में सितंबर माह तक लाभार्थियों की संख्या 8,754 रही थी। विभाग द्वारा इस बार जनपद स्तर पर लक्ष्य भी निर्धारित नहीं किया गया है। जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में 17,299 लक्ष्य निर्धारित किया गया था जिसमें विभाग द्वारा 17,500 का लक्ष्य प्राप्त किया था। शासन द्वारा प्रसव पीड़ित महिलाओं को टीकाकरण तथा प्रसव के समय अस्पताल तक लाने ले जाने की जिम्मेदारी आशा कार्यकत्रियों पर ही है तथा विभाग इसके लिए उन्हें भुगतान भी करता है। आशा कार्यकत्रियों का कहना है कि एकाउंट पेई चेक दिए जाने से सक्षम लोग निजी नर्सिगहोम में प्रसव कराने चले जाते हैं। वहीं अस्पतालों में महिला डाक्टरों की कमी भी बड़ा कारण बनी है। जनपद में दो प्रसवोत्तर केंद्र हैं। जबकि औरैया अस्पताल में एक मात्र महिला डाक्टर सीमा अग्रवाल तैनात हैं। अन्य सभी सीएचसी व पीएचसी में कोई महिला डाक्टर तैनात नहीं है। डिप्टी सीएमओ डा.अशोक कुमार का कहना है कि विभाग का प्रयास है कि अधिक से अधिक प्रसव अस्पतालों में हो। इसके लिए समय-समय पर आशा व एएनएम को निर्देश दिए जाते हैं।