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मां की अगवानी को सजने लगे दरबार

By Edited By: Published: Wed, 24 Sep 2014 01:00 AM (IST)Updated: Wed, 24 Sep 2014 01:00 AM (IST)
मां की अगवानी को सजने लगे दरबार

औरैया, जागरण संवाददाता : गुरुवार से नवरात्र शुरू हो रही हैं। जगत जननी के स्वागत में मंदिरों में जहां व्यवस्थागत ढांचा तैयार हो चुका है, वहीं जगह-जगह माता के दरबार के पांडाल भी सजने को आतुर हैं।

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मां के भक्त नवरात्र में नौ दिन अन्न न खाकर फलाहार करते हैं। मंगल आरती से सांध्य आरती तक मां सप्तशती के पाठ में डूबकर पूरी तरह भक्ति में लीन हो जाते हैं।

व्रत के वैज्ञानिक लाभ भी : आयुर्वेद के प्रसिद्ध चिकित्सक डा. मनोज पांडेय ने बताया कि नवरात्र का समय वर्षा एवं शीत ऋतु का संधि काल होता है। वर्षा ऋतु में जठराग्नि दुर्बल रहती है और आंतें अक्सर संक्रमणग्रस्त हो जाती हैं। जिसके चलते आंतों को बहुत काम करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि नवरात्र के व्रत में फलाहार से क्षीण हो चुका आंत्रबह संस्थान पुन: मजबूत हो जाता है जिससे शीत ऋतु में जठराग्नि प्रबल रहने से आंतें अच्छा काम करती हैं।

दुकानों में भी फलाहार : यूं तो नवरात्र व्रत में भक्त घर में ही फलाहार इत्यादि करते हैं। कुछ लोग सायं कुट्टूफल के आटा की पूड़ियां भी प्रसाद के रूप में प्राप्त करते हैं, परंतु आज कल शहर की विभिन्न दुकानों में फलों से बनी पूड़ी एवं कटे फलों के बंद पैक मिलते हैं। आफिस इत्यादि में काम करने वाले व्रत धारकों के लिए यह सुविधा अत्यंत कारगर है।

हवन का महत्व : ज्योतिषाचार्य राधाकांत पांडेय का कहना है कि धार्मिक मत के अनुसार हवन सामग्री के स्वाहा से देवों को तृप्ति मिलती है। वहीं वैज्ञानिक मत के अनुसार हवन सामग्री का धुआं पूरी तरह प्रदूषण रहित होता है और यह मानव कल्याण के लिए बरसने वाले मेघों का निर्माण करता है।

मंदिरों में बना व्यवस्थागत ढांचा : यूं तो जिले में प्रत्येक देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ होती है। परंतु जिले के लगभग एक दर्जन सिद्ध पीठ मंदिरों पर सुबह 4 बजे से रात्रि 10 बजे तक भक्तों की कतार कम नहीं होती। प्रमुख रूप से औरैया में मंगला काली, मां फूलमती, काली देवी व बड़ी माता मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ता है। नगर के इन चारों मंदिरों में माता के स्वागत के लिए भव्य दरबार सजाया जा रहा है। मंदिर कमेटियों ने भक्तों की सहूलियत के लिए बैरीकेटिंग की व्यवस्था कर महिला एवं पुरुषों के लिए अलग-अलग निकास बनाए हैं। घनी बस्ती में माता के ये पीठ होने के चलते मंदिरों से लगभग डेढ़ फर्लाग दूर पार्किंग की व्यवस्था है।

श्रृंगार के लिए आपाधापी : सभी मंदिरों में माता के विग्रह के श्रंगार के लिए भक्त एक दिन चाहते हैं। काली माता मंदिर कमेटी के पुजारी जी ने बताया कि एक माह पूर्व ही पूरे नौ दिन का श्रंगार भक्तगण ले गए हैं। यही स्थिति सभी मंदिरों की है। सुबह मंगला आरती के बाद दोपहर 12 बजे माता रानी के पट बंद होते हैं। इस बीच दो घंटे माता का भव्य श्रंगार होता है। पुन: तीन बजे श्रंगार और अभिषेक से सजी माता दर्शन देती हैं। सांध्य आरती सात बजे होती है। उसके बाद रात्रि 10 बजे तक माता की भेंटें गाई जाती हैं।

पालिका ने भी किया बंदोबस्त : औरैया नगर पालिका परिषद ने नगर के प्रत्येक मंदिर पर निर्वाध जलापूर्ति की व्यवस्था की है। इसी के साथ मंदिरों के आसपास सुबह और शाम दोनों प्रहर सफाई की व्यवस्था की है।


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