महीनों से नहीं मिली कनवर्जन कास्ट, कैसे बने एमडीएम
औरैया, जागरण संवाददाता : प्राथमिक विद्यालय के भरतौल हो या उच्च प्राथमिक विद्यालय धीरपुर, यहां तकरीबन हर रोज ही बच्चों को भूखे लौटना पड़ता है। कनवर्जन कास्ट महीनों से न मिलने से यह हाल कई विद्यालयों में है। तमाम विद्यालय ऐसे हैं जहां एमडीएम ठप पड़ा है तो कुछ ऐसे भी हैं जहां लइया चना बांटकर काम चलाया जा रहा है। कनवर्जन कास्ट का ही संकट नहीं है बल्कि रसोइयों को भी मानदेय के लिए महीनों से भटकना पड़ रहा है।
जिले भर के जिन विद्यालयों में मिड डे मील योजना संचालित है उनमें से कक्षा एक से पांच तक के 93864 व छह से आठ तक के 49288 छात्र-छात्राएं हैं। प्राइमरी में प्रति छात्र 3.59 रुपए कनवर्जन कास्ट निर्धारित है जबकि उच्च प्राथमिक विद्यालयों में हर बच्चे के लिए 5.45 रुपए निर्धारित किया गया है। स्थिति देखे तो आधे से अधिक विद्यालयों को अप्रैल से कनवर्जन कास्ट नहीं मिली है तो तमाम ऐसे हैं जिनमें अप्रैल की कनवर्जन कास्ट तो मिल गई, लेकिन उसके बाद के महीनों की कनवर्जन कास्ट आज तक नहीं मिली। रसोइयों के मानदेय की धनराशि तो आठ महीने से आई ही नहीं है जिससे विद्यालयों में मिडडे मील संचालन पर संकट खड़ा हो गया है। पिछले दिनों जिलाधिकारी के निर्देश पर उपजिलाधिकारियों ने कुछ विद्यालयों का निरीक्षण कर मिडडे मील की पड़ताल की थी। जिनमें से कई में एमडीएम का संचालन ठप मिला था। जबकि कुछ में बच्चों को लइया चना बांटा गया था। संबंधित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दे दिए गए थे, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया कि कनवर्जन कास्ट महीनों से विद्यालयों में क्यों नहीं पहुंच पा रही है। शिक्षक कई बार बीएसए और जिलाधिकारी से फरियाद कर चुके हैं बावजूद इसके कुछ नहीं हुआ। जिससे हेडमास्टरों को ही अपनी जेब से इस योजना का संचालन करना पड़ रहा है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष श्रीओम चतुर्वेदी ने कहा कि कई बार फरियाद की जा चुकी है पर सुनवाई नहीं की जा रही है। आखिर शिक्षक अपनी जेब से कितने दिनों तक एमडीएम का संचालन करें। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार श्रीवास ने बताया कि धनराशि आते ही छात्र संख्या के हिसाब से विद्यालयों को कनवर्जन कास्ट भेज दी जाएगी।