वन संरक्षण अधिनियम से किसान परेशान
बाबरपुर(औरैया), संवाद सूत्र : सरकार द्वारा वन संरक्षण अधिनियम किसानों को लाभ देने के लिए बनाया गया, लेकिन तमाम ऐसे पेंच हैं जिसके चलते किसान कंगाल हो गए। गुरुवार को गोष्ठी में इसी का जिक्र करते हुए वक्ताओं ने कृषि वानिकी पर जोर दिया।
गोष्ठी में पूर्व प्रमुख वन संरक्षक आरएस भदौरिया ने बताया कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 के कारण ही किसानों ने खेतों में जमे शीशम व नीम को खोदना शुरू कर दिया है। असल में पेड़ की लकड़ी तैयार होने में 10 से 20 वर्ष का समय लगता है और जब लकड़ी बिकने लायक होती है तो पुलिस उत्पीड़न और वन विभाग की अनुमति का रोड़ा किसानों के लिए आफत खड़ी करता है। बताया कि किसान खेतों की मेड़ पर पापुलर, सागौन, यूकेलिप्टस लगाएं। पर्यावरण विद भगवतस्वरूप विश्नोई ने कहा कि किसानों को अपने खेतों में लगे पौधों को बेचने की खुली छूट होनी चाहिए। यदि किसान पेड़ कटवाता है तो उसे दोगुने पेड़ लगवाने चाहिए इससे पर्यावरण सुरक्षित रहेगा। गोष्ठी में डा.अजय कुमार सिंह आदि मौजूद रहे।