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ग्रामीण क्षेत्रों में फैली बीमारी, जिला अस्पताल में बढ़ी भीड़

By Edited By: Published: Fri, 22 Aug 2014 01:02 AM (IST)Updated: Fri, 22 Aug 2014 01:02 AM (IST)
ग्रामीण क्षेत्रों में फैली बीमारी, जिला अस्पताल में बढ़ी भीड़

औरैया, जागरण संवाददाता : बारिश न होने तथा तेज धूप के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में बीमारियां फैलना शुरू हो गई हैं। जिसका परिणाम है कि जनपद भर के अस्पतालों में मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन छह सैकड़ा से अधिक मरीज आते हैं। वहीं अस्पताल के तीनों वार्ड भी भरे हुए हैं।

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संक्रामक रोगों की वजह से सोमवार को 585 जबकि मंगलवार को 550, बुधवार को 510, गुरुवार को 566 मरीजों ने ओपीडी में पर्चे बनवाए हैं। ओपीडी में दिखाने वाले अधिकतर मरीज ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित हैं। सुबह से ही डाक्टरों के कमरों के बाहर मरीजों की लंबी -लंबी लाइनें देखी जाती है। यह स्थिति दोपहर तक बनी रहती है।

चिकित्सक डा. एमयू खान का कहना है कि इस समय सर्वाधिक मरीज बुखार व उल्टी दस्त से प्रभावित आते हैं। उनका कहना है कि इसका प्रमुख कारण मौसम का दिखाई पड़ रहा है। वहीं अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ -साथ अस्पताल की व्यवस्थाएं भी चरमराने लगी हैं। अधिकतर मरीजों को दवाइयां भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है जबकि स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अस्पतालों में कहीं भी दवा की कोई कमी नहीं है। संक्रामक रोगों के प्रभाव को देखते हुए सभी जगह दवाइयां पहुंचाई गई है, लेकिन हकीकत यह है कि जिला अस्पताल में एनएस तक की बोलते उपलब्ध नहीं हैं। मरीजों को बाहर से लानी पड़ती हैं। यही हालत छोटी -मोटी दवाइयों की है। जिनके लिए मरीजों को मेडिकल स्टोर का सहारा लेना पड़ता है। दूसरी बड़ी समस्या ठंडे पेयजल की है। अस्पताल परिसर में एक मशीन लगी हुई है, लेकिन शायद ही कभी किसी भी मरीज को ठंडा पानी मिल सका हो। वहीं दूसरी ओर मरीजों की बड़ी संख्या के कारण अस्पताल के तीनों वार्ड भरे हुए हैं। दोपहर में स्थिति यह थी कि एक -एक बेड पर दो मरीज इलाज कराते हुए देखे गए।

क्या कहते हैं मरीज : शहर निवासी बाबू लाल का कहना है कि दो घंटे में तो डाक्टर को दिखा पाए हैं अब दवा के लिए परेशान होना पड़ रहा है। खानपुर निवासी बाबू खां का कहना है कि बमुश्किल से एक दो दवाएं ही मिल पा रही है, शेष दवाएं मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ेगी। शहर निवासी श्यामा देवी का कहना है कि अस्पताल में तो केवल एक कागज पर लिखी दवाओं का पर्चा ही मिलता है।


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