दलाली के चप्पू से पार होती फर्जीवाड़े की नैया
औरैया, जागरण संवाददाता : एआरटीओ कार्यालय की कार्यवाही पर दलालों की कारगुजारी भारी पड़ती है। आलम यह है कि तगड़ी धनराशि वसूल कर यह दलाल ऐसे काम भी करा देते हैं जो कानूनन कतई संभव नहीं है। मसलन बिना जरूरी कागजात के ड्राइविंग लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन तथा बिना वाहन लाए ही फिटनेस सर्टीफिकेट।
हाल ही में अजीतमल में घटित एक घटनाक्रम को नजीर मानें तो एआरटीओ कार्यालय में दलाली के चप्पू से कोई भी नैया पार लगाई जा सकती है। मामला यह था कि करीब दो साल पहले लखनऊ के एक फौजी की कार चोरी हो गई थी जिसका अभियोग उसने वहीं के थाने में दर्ज कराया था। यहां तक कि बीमा कंपनी से क्षतिपूर्ति भी प्राप्त कर ली गई थी। इसके बाद अचानक कार कंपनी के कस्टमर केयर से फोन पर कार की गुणवत्ता के विषय में पूछा गया तो उसने कार चोरी हो जाने की बात बताई। इस पर उसे जानकारी दी गई कि कार की सर्विसिंग हाल ही में इटावा की एजेंसी में कराई गई है। सुराग लगाने फौजी इटावा एजेंसी पहुंचा तो कार की मौजूदगी अजीतमल कस्बा में होने की सूचना मिली। पुलिस ने जब पूरे मामले की जांच की तो हकीकत सामने आई। लखनऊ से चोरी हुई कार आगरा से जारी नए सेल लैटर के जरिए स्थानीय एआरटीओ कार्यालय में ममता के नाम से पंजीकृत कराई गई थी। इसके बाद यह कार अजीतमल के ही एक अन्य व्यक्ति ने खरीदी और उसके नाम भी पंजीकरण दर्ज कर दिया गया। अंतत: कार पुलिस ने जब्त की और अभी भी पुलिसिया कार्रवाई चल रही है। यह महज एक बानगी है। अलबत्ता हकीकत यह है कि ऐसे ही सैकड़ों मामले विभाग की फाइलों में दफन हैं। एआरटीओ कार्यालय जब शहर में था, तब भी दलालों का बोलबाला था, मुख्यालय शिफ्ट होने के बाद भी इसमें कमी नहीं आई है। दलाली का दूसरा रूप यह है कि आरटीओ द्वारा ओवरलोडिंग और कागजात की कमी के चलते पकड़े गए वाहनों को छुड़वाने का ठेका भी लिया जाता है। इसके लिए समस्या में फंसे गैर प्रांतों के चालक परिचालक और मालिकों से मोटी धनराशि वसूली जाती है।
कहां बैठते दलाल
-शहर में पुराने कार्यालय के आसपास
-जिला जजी के निकट
-ककोर मुख्यालय के समीप
-कोतवाली और थाना के आसपास
क्या कहते अधिकारी : एआरटीओ उदयराम का कहना है कि दलाली की शिकायत प्राप्त हुई हैं। विभागीय स्तर पर जांच कराई जा रही है, जल्द ही दलाली करने वालों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जाएगी।