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परिषदीय शिक्षक तैयार करने की 'नर्सरी' में 'सूखा'

By Edited By: Published: Thu, 31 Jul 2014 07:53 PM (IST)Updated: Thu, 31 Jul 2014 07:53 PM (IST)
परिषदीय शिक्षक तैयार करने की 'नर्सरी' में 'सूखा'

अनिल सिकरवार, औरैया

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जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) यानि परिषदीय शिक्षक तैयार करने की नर्सरी में यहां पूरी तरह सूखा है। प्राचार्य से लेकर प्रवक्ता तक के सभी पद रिक्त हैं। आलम यह है कि अटैच किए गए चार परिषदीय शिक्षकों से ही काम चलाया जा रहा है। बड़ी समस्या यह है कि प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों को पढ़ाने वाला कोई विशेषज्ञ नहीं है।

जिले के अजीतमल में स्थित डायट अर्से से प्रभारी प्राचार्य के भरोसे चल रही है। सालों से जिला विद्यालय निरीक्षक को प्राचार्य का अतिरिक्त प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है। कोई पढ़ाने वाला ही नहीं है। होता यह है कि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले भी कम ही पहुंचते हैं, जो जाते भी हैं वह घूम टहल कर लौट आते हैं। स्थिति देखें तो अभी यहां बीटीसी 2012 के 192,बीटीसी 2013 के 195 व मृतक आश्रित के 15 प्रशिक्षणार्थी हैं। पढ़ाने वालों के सभी पद रिक्त होने के कारण डायट में चार परिषदीय शिक्षक अटैच किए गए हैं। बताया गया कि उन्हीं से शिक्षण कार्य कराया जा रहा है। चूंकि प्रशिक्षणार्थियों की उपस्थिति बेहद कम रहती है। जितने पहुंचते हैं, उन्हें अटैच परिषदीय शिक्षक ही पढ़ाते हैं। विशेषज्ञ शिक्षक न होने से डायट के उद्देश्य व मंशा पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। हर साल प्रशिक्षणार्थी आते हैं और प्रशिक्षण के नाम पर खानापूर्ति कर दी जाती है।

इनसेट

स्थिति एक नजर में

प्राचार्य एक पद-डीआइओएस पर प्रभार

उपप्राचार्य एक पद- खाली

वरिष्ठ प्रवक्ता छह पद- सभी खाली

प्रवक्ता 17 पद- सभी खाली

कार्यानुभव शिक्षक एक पद- तैनाती है

तकनीकी सहायक - तैनाती है

सांख्यिकी कार एक पद- खाली

लेखाकार एक पद - खाली

स्टेनो एक पद- खाली

लिपिक 11 पद- दो खाली

चतुर्थ श्रेणी कर्मी पांच पद - तीन खाली

स्वीपर एक पद - खाली

इनसेट

भेजा है प्रस्ताव

औरैया : जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव का कहना है कि रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। उनके अनुसार प्रयास किया जा रहा है।

इनसेट

हर जगह समस्या

औरैया : डायट के कार्यानुभव शिक्षक रामलखन पांडेय कहते हैं कि सिर्फ यहां ही नहीं, पूरे प्रदेश की डायट में इसी तरह की समस्या है। उनके अनुसार इससे खासी दिक्कत है। मजबूरी में चार परिषदीय शिक्षक अटैच किए गए हैं। उन्हीं के जरिए काम चलाया जा रहा है।


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