मनरेगा मजदूरों और फर्मो के 49 लाख लटके
औरैया, जागरण संवाददाता : महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)की परियोजनाओं में काम करने वाले मजदूरों और सामग्री की आपूर्ति देने वाली फर्मो के 49 लाख रुपए फंस गए हैं। भुगतान न मिलने से हालत यह है कि जिले की 20 फीसद ग्राम पंचायतों में काम ठप हो गए हैं। यही नहीं वह श्रमिक भी और काम करने को तैयार नहीं हैं, जिन्हें भुगतान नहीं मिला है।
मनरेगा में अब स्टेट हेड क्वार्ट्र की बैंक से ही ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था है। काम करने वाले मजदूरों के साथ उन फर्मो को भी सीधे उनके खातों में धनराशि भेजकर भुगतान किया जाता है, जो सामग्री की आपूर्ति देती हैं। वित्तीय वर्ष 2014-15 की स्थिति देखें तो इस बार जिले भर में उन मनरेगा श्रमिकों को भुगतान नहीं मिला है, जिन्होंने परियोजनाओं में काम किया है। यही नहीं वह फर्मे भी भुगतान के लिए दौड़ भाग कर रही हैं। जिन्होंने सामग्री की आपूर्ति दी है। बताया जा रहा है कि तकरीबन 49 लाख रुपए का भुगतान अटका हुआ है। जिले भर में 441 ग्राम पंचायतें हैं और जॉब कार्ड वाले श्रमिकों की संख्या 1,18,033 है। चालू वित्तीय वर्ष में काम करने वाले तकरीबन पांच हजार मनरेगा श्रमिकों के मस्टर रोल फीड हो चुके हैं और बीडीओ व लेखाधिकारी डिवाइस के जरिए ओके भी कर चुके हैं, लेकिन समस्या यह है कि जिस बैंक से भुगतान होना है, उसमें पैसा ही नहीं है जिससे संबंधित श्रमिक और फर्मे भटक रही हैं। हालत यह है कि न तो संबंधित श्रमिक भुगतान मिले बिना काम करने को तैयार हैं और न ही फर्मे ही सामग्री की आपूर्ति देने को तैयार दिख रही हैं जिससे 20 फीसद ग्राम पंचायतों में मनरेगा के कार्य पूरी तरह ठप पड़े हैं। यही नहीं अन्य ग्राम पंचायतों में भी मनरेगा के कार्य न के बराबर ही हो रहे हैं। स्थानीय स्तर पर कोई अधिकारी यह जानकारी भी नहीं दे पा रहा है कि भुगतान कब तक मिलेगा जिससे असमंजस की स्थिति बनी है। डीआरडीए के परियोजना निदेशक अजय प्रकाश का कहना है कि स्थानीय स्तर से कोई दिक्कत नहीं है। यहां से जितनी औपचारिकताएं की जाती हैं, वह सब हो चुकी हैं। स्टेट हेड क्वाटर की बैंक में कोई धनराशि नहीं है, इस कारण भुगतान नहीं हुआ है। उन्होंने माना कि इससे कई ग्राम पंचायतों में मनरेगा के कार्य प्रभावित हैं। उन्होंने श्रमिकों से कहा कि बैंक में धनराशि आने के बाद भुगतान हो जाएगा। श्रमिक परियोजनाओं में काम करें।