तो जिले में कैसे लगेगा पावर प्लांट
औरैया, जागरण संवाददाता : कंचौसी के निकट प्रस्तावित यूनीटेक मशीन्स पावर प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण समस्या फिर नए सिरे से खड़ी हो गई है। अधिकांश किसान जमीन का मुआवजा मिलने के बाद ही जमीन देने की बात कह रहे हैं। गत शनिवार को भूमि का पूजन करने पहुंचे यूएम पावर प्लांट के अधिकारियों व किसानों के बीच इसी बात को लेकर मारपीट हो गई थी।
दिसंबर 2010 में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में काम करने वाली यूनीटेक मशीन्स लिमिटेड और उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड के बीच जनपद के गांव कंचौसी निकट 250 मेगावाट क्षमता का कोल आधारित बिजली संयंत्र लगाए जाने का करार हुआ था। इससे पैदा होने वाली बिजली का 90 फीसदी हिस्सा प्रदेश में ही खर्च किया जाना था। वर्ष 2010 में इस संयंत्र को 2014 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था और इसके लिए 1250 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। संयंत्र लगाने के लिए 450 एकड़ जमीन कंचौसी क्षेत्र के मौजा जमौली, कंचौसी, हरतौली, ढिकियापुर, नौगवां, करौंधा और अजमतपुर की जमीन अधिग्रहीत की जानी थी। अब तक 264 एकड़ जमीन अधिग्रहीत हो चुकी है और अब 177 एकड़ जमीन को और अधिग्रहीत किया जाना है। भूमि अधिग्रहण को लेकर यहां के किसान अर्से से प्लांट के अधिकारियों पर मनमानी का आरोप लगाते रहे हैं। इस इलाके के अधिकांश किसान अपनी जमीन देने से पहले मुआवजा चाहते हैं और किसानों की मांग है कि प्लांट में जमीन जाने वाले किसान के परिवार के सदस्यों को नौकरी दी जाए। ओंकार राजपूत, नरेन्द्र सिंह यादव, गोपी यादव का कहना है कि असली समस्या मुआवजे और उनकी मांगों को लेकर है। दरअसल कंपनी ऊसर और उपजाऊ जमीन को एक मूल्य पर लेना चाहती है जो किसानों को मंजूर नहीं है। उनका कहना है कि कंपनी ने कुछ लोगों से एग्रीमेंट किया है, लेकिन उनमें से भी कइयों को अभी मुआवजा नहीं मिला है। बिना मुआवजा वह लोग अपनी जमीन नहीं दे सकते। उनका कहना है कि प्रदेश में सपा सरकार ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि अधिग्रहण किए जाने वाली कृषि भूमि के लिए सर्किल रेट से छह गुना अधिक मुआवजा दिया जाएगा जबकि कंपनी मन मुताबिक मुआवजा देना चाहती है। किसान नेता संत कुमार तिवारी, भूरे यादव, सर्वेन्द्र यादव, नरेन्द्र यादव, गंगाराम आदि का कहना है कि मुआवजे को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है। मांग की है कि घोषणापत्र में किए गए वादे के मुताबिक सर्किल रेट से छह गुना मुआवजा दिया जाए तभी किसान जमीन का अधिग्रहण होने देंगे। किसान और कंपनी के अधिकारियों के बीच तनातनी से लोग खासे निराश है। लोगों का कहना है कि आखिर ऐसे ही विवाद चलता रहा तो जिले में पावर प्लांट लगना मुश्किल होगा।