भीषण गर्मी में दुर्लभ हुआ दूध
औरैया, जागरण संवाददाता :भीषण गर्मी के दौरान गिरे उत्पादन के चलते नौनिहालों को पर्याप्त मात्रा में दूध मुहैया नहीं हो पा रहा है। मांग के सापेक्ष दूध के उत्पादन में खासी कमी दर्ज की गई है।
गृहणियों का कहना है कि पर्याप्त कीमत देने के बाद भी शुद्ध दूध तो छोड़िए, काम चलाऊ भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। दूधिए गर्मी के दौरान उत्पादन में गिरावट का हवाला देकर तयशुदा मात्रा भी मुहैया नहीं करा रहे हैं। बाजार में भी डेयरियों पर आया दूध घंटे भर के अंदर साफ हो जाता है। सत्तेश्वर की राधा बताती हैं कि 40 रुपए लीटर का भुगतान करने के बावजूद अपने बच्चों को शुद्ध दूध मुहैया नहीं करा पा रही हैं। दूध में आई गिरावट का प्रमुख कारण सूखे जैसे हालात के चलते चारे में आई कमी तो है ही, टीकाकरण के अभाव में पशुओं में फैल रही बीमारी भी इसकी एक वजह है। बीते सप्ताह मुरादगंज-भीखेपुर क्षेत्र में कई दर्जन दुधारू पशु बीमारी की चपेट में आ गए। अखबारों में समाचार प्रकाशित होने के बाद कुछ गांवों में टीकाकरण की खानापूर्ति की गई, लेकिन रोकथाम के प्रभावी उपाय अभी तक नहीं किए गए हैं। उधर जनपद में दुग्ध समितियों और दूध डेयरियों की बाढ़ के चलते भी स्थानीय उत्पादन का बड़ी मात्रा में निर्यात हो रहा है। भूसा, खली और ग्रामीण चारे की कमी के चलते किसान भी पशु पालन से विमुख हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन को व्यापक कार्य योजना बनाकर दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना पड़ेगा, तभी मांग व उत्पादन में समायोजन संभव होगा। डेयरियों को प्रतिदिन 2.5 लाख लीटर दूध की आवश्यकता है, लेकिन गिरावट के चलते पूरी मेहनत के बाद भी 1.65 लाख लीटर ही संग्रह हो पा रहा है। दुग्ध संघ बकेवर कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक गर्मी में प्रति वर्ष इन्हीं हालात का सामना करना पड़ता है।
आंकड़ों पर एक नजर
जिले में कुल पशु- 4,68,377
जिले में कुल दुधारू पशु- 1,57,000
दूध का दैनिक उत्पादन- चार लाख लीटर
जिले की कुल आबादी - पन्द्रह लाख से अधिक
जिले में दूध की न्यूनतम मांग- बारह लाख लीटर
डेयरियों की खपत-1.65 लाख लीटर
कुल दुग्ध समितियां- 178