प्लास्टिक सिटी में नहीं जला विकास का चिराग
औरैया,जागरण संवाददाता : प्रदेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट प्लास्टिक सिटी गुलजार नहीं हो सका है। चार हजार करोड़ के निवेश का सपना देखा गया था, लेकिन बेहतर कानून व्यवस्था न होने से उद्यमियों ने प्लास्टिक सिटी की ओर रुख करना अभी मुनासिब नहीं समझा है। हालांकि 2/3 भाग प्लास्टिक सिटी का बनकर तैयार हो गया है। प्रोजेक्ट के भीतर एक पुलिस चौकी भी बनाई गई है। कई बार यूपीएसआईडीसी के अधिकारियों ने शासन स्तर से चौकी में फोर्स मुहैया कराने की गुहार लगाई, बावजूद पुलिस कर्मियों की तैनाती नहीं हो सकी है। हालांकि शुरुआत में शासकीय व प्रशासकीय स्तर पर बेहतर सुरक्षा व्यवस्था का वादा किया गया था। इधर भूमि अधिग्रहण के मामले में किसानों के साथ जो वादाखिलाफी हुई उससे खफा किसानों ने चुनाव बहिष्कार का बिगुल पहले ही फूंक दिया है।
प्लास्टिक सिटी का निर्माण करीब तीन सौ चौदह एकड़ की जमीन पर होना है। 225 एकड़ जमीन पर औद्योगिक इकाइयां व 89 एकड़ पर आवासीय परिसर बनेंगे। इसे विकसित करने के लिए करीब 250 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। योजना के लिए केंद्र सरकार से 40 करोड़ रुपए मिलेंगे। यूपीएसआईडीसी के प्रबंध तंत्र के अनुसार करीब चार हजार करोड़ का इसमें निवेश होना है। वहीं चालीस हजार लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। मालूम हो कि इस प्रोजेक्ट पर नवम्बर 2013 में मुख्यमंत्री के साथ महाराष्ट्र, उत्तरांचल व यूपी के तमाम उद्योगपतियों को कानून व्यवस्था को लेकर आश्वस्त किया जा चुका है। गुजरात, आंध्र प्रदेश , महाराष्ट्र, गेल व रिलायंस जैसे बड़े औद्योगिक समूह भी यहां पर उद्योग स्थापना में रुचि दिखा चुके हैं। समस्या यह है कि भूमि अधिग्रहण का पचड़ा अभी खत्म नहीं हुआ है। किसान मुआवजे की मांग को लेकर आवाज बुलंद किया करते हैं तो वहीं सुरक्षा को लेकर कोई व्यापक बंदोबस्त नहीं किया गया है। प्लास्टिक सिटी के लिए उसरारी, लुखपुरा, हंसे का पुरवा, चमरौआ, लखनपुर सहित आठ गांवों की जमीन ली गई है। 18 अप्रैल 2002 से अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई थी जो 2009 तक खत्म की गई। चमरौआ में 220.74 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गई। 165 किसानों ने अधिग्रहीत जमीन पर हस्ताक्षर किए हैं। लखनपुरा में 110.84 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गई 63 किसानों ने अधिग्रहण प्रक्रिया पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। कढोरे का पुरवा के पांच ग्रामीण विनोद कुमार, अरविंद, ओंकार, वीरेन्द्र, उदयवीर, बृजेश व संत कुमार को अलग-अलग रेट पर मुआवजा दिया गया जिससे इनमें आक्रोश है। वर्तमान में किसान सर्किल रेट से चार गुना अधिक मुआवजे की मांग कर रहे हैं। आरोप है कि यूपीएसआईडीसी ने पुराने सर्किल रेट पर मुआवजा दिया जबकि वर्तमान में जमीन के दाम काफी बढ़ गए हैं।
नहीं हो सकी माकूल सुरक्षा व्यवस्था : प्लास्टिक सिटी का निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन स्थानीय स्तर पर होने वाली अराजकता से यूपीएसआईडीसी के अधिकारी परेशान हैं। एक्सईएन एसएल कुशवाहा का कहना है कि अराजकता को लेकर स्थानीय पुलिस अधिकारियों तथा आईजी तक शिकायत पहुंचाई गई, लेकिन कोई सुरक्षा प्रबंध नहीं की गए। चौकी बनकर तैयार है, लेकिन पुलिस कर्मियों की तैनाती नहीं हो सकी है। लाखों का माल चोरी में भी जा चुका है आखिर वे करें तो क्या करें। विभागीय सूत्र बताते हैं कि सुरक्षा की गारंटी न मिलने से उद्यमी प्लास्टिक सिटी से दूरी बनाने लगे हैं।