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खाली पड़े हैं मेंथा के खेत

रायबरेली, जागरण संवाददाता: रायबरेली जिले में दाल प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है। इसकी वजह दलहन की फ सलों क

By Edited By: Published: Tue, 21 Apr 2015 04:31 PM (IST)Updated: Tue, 21 Apr 2015 04:31 PM (IST)
खाली पड़े हैं मेंथा के खेत

रायबरेली, जागरण संवाददाता: रायबरेली जिले में दाल प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है। इसकी वजह दलहन की फ सलों की पैदावारी न होना बताई जाती है। वहीं महराजगंज सदर, ऊंचाहार तहसील के हर गाव में मेंथा आयल निकालने की छोटी-छोटी इकाइया लगी हैं। इस बार मेंथा खराब हो जाने के कारण छोटी-छोटी इकाइया बंद रहेंगी। मेंथा के खेत खाली पड़े हैं।

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बछरावा विकास खंड उन्नाव और लखनऊ जनपद की सीमाओं को छूता हुआ 27 हजार 106 हेक्टेयर में फैला है। रायबरेली जिले का बछरावा विकास खंड कृषि प्रधान क्षेत्र होने के कारण यहा 15 हजार 938 हेक्टेयर में खेती करके किसान अपना पेट पालते है। अन्य फ सलों की पैदावार से संतुष्ट न होने के कारण आर्थिक लाभ को देखते हुए किसानों ने कई वषरें से मेंथा की फ सल की ओर अपना रूख किया। ऐसे में करीब 2500 हेक्टेयर में सेंहगो पश्चिम गाव, बिसुनपुर, नीवा, सरौरा, अमावा, कन्नावा, बन्नावा, थुलेंडी, हसवा गाव सहित अन्य गावों के किसान मेंथा की खेती लगा रहे है। सरौरा के किसान शेखर चौधरी का कहना है कि बेमौसम बारिश के कारण मेंथा की जो फ सल लगा दी गयी है वह खड़ी नहीं हो सकी है। मेंथा की फ सल में पानी की अधिक आवश्यकता होती है। लेकिन असमय पानी का गिरना फसल को नष्ट कर रही है। अमावा के किसान चंदन का कहना है कि क्षेत्र में 15 मार्च से 15 अप्रैल के बीच मेंथा की फ सल लगाने का अच्छा समय होता है, लेकिन बेमौसम बारिश के कारण खेत खाली पड़े हैं।

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100 टन दाल की प्रतिमाह खपत

शहर के किराना व्यापारी राजकुमार का कहना है कि जिले में दलहन का उत्पादन न के बराबर है। 90 प्रतिशत लोग खरीद कर ही दाल व तेल का प्रयोग करते हैं। रायबरेली में कानपुर समेत अन्य मंडियों से दलहन और तिलहन की खरीद की जाती है। अनुमान के मुताबिक प्रतिमाह 100 टन सभी प्रकार की दालें प्रयोग होती है। इस बार दाल के दाम अभी से 100 रुपए किलो हो गए है। ऐसे में आम आदमी की थाल से दाल भी गायब होती दिख रही है।

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मुआवजे का वितरण शुरू

आपदा प्रबंधन प्रभारी एडीएम राजस्व शीतला प्रसाद श्रीवास्तव ने बताया कि जिले की पाच तहसीलों कों 40-40 लाख तथा सदर तहसील को 50 लाख की धनराशि मुआवजे के तौर पर शासन से मिली है। सदर तहसील में 50 लाख की धनराशि में 30 लाख की धनराशि से आठ गावों में आठ सौ किसानों, सलोन में 40 लाख में 39 लाख 3 सौ की धनराशि 19 गाव में 974 किसान, ऊंचाहार में 40 लाख में 12 लाख 57 हजार की धनराशि 15 गाव में, महराजगंज में 40 लाख में 38.21 लाख की धनराशि 11 गावों के 562 किसान और लालगंज में 40 लाख में 5.52 लाख की धनराशि से सात गावों के 162 किसानों के बैंक खातों में भेजी जा रही है। डलमऊ की प्रगति रिपोर्ट प्राप्त होते ही वितरण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

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डीडी बोले

कृषि उपनिदेशक डा. अजय कृष्ण ने बताया कि दलहन और तिलहन की भरपाई के लिए जायद से सीजन में एक हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में उड़द, मूंग और तिल की बुआई कराई जाएगी। इसके बाद फि र रबी सीजन में तोरियां और सरसों की बुआई कराने की योजना बनाई जा रही है।


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