ड्योढ़ी लांघ छा रही बेटियां
चिंतामणि मिश्र, अमेठी : ऊसरों की धरती रत्न प्रसविनी बन गई है। जिले का भादर विकास क्षेत्र सफलता के
चिंतामणि मिश्र, अमेठी : ऊसरों की धरती रत्न प्रसविनी बन गई है। जिले का भादर विकास क्षेत्र सफलता के नित नए सोपान अपने नाम कर रहा है। यहां की माटी से निकलकर लाडो चूल्हे चौके नहीं बल्कि देश को सोना दिलाने के ख्वाब सजोकर वैश्रि्वक फलक पर छा जाने को बेताब नजर आ रही है। क्षेत्र की आधा दर्जन से अधिक महिला एथलेटिक्स राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय खेलों के लिए पसीने बहा रही हैं। इनमें से लगभग सभी प्रदेश स्तर की चैंपियन हैं।
कभी ऊसर तो कभी अपने ठाट बाट के लिए मशहूर भादर विकास क्षेत्र बेटियों के कारनामों से जाना जाएगा। यहां की धरती की बेटियां अपने कौशल से न सिर्फ क्षेत्र का मस्तक ऊंचा कर रही हैं बल्कि पुरुषों को भी प्रेरणा दे रही हैं। सबसे पहले बात भादर के घोरहा में जन्मी नेहा सिंह की करते हैं, नेहा डिस्कस थ्रो में दो बार की राष्ट्रीय चैंपियन रही, इस समय सीआईएसएफ में गोल्ड मेडलिस्ट हैं। नेहा एशियाड में भी देश की ओर से हिस्सा ले चुकी हैं। उनका सपना ओलंपिक में गोल्ड दिलाने का है। यहां के भागीपुर गांव में जन्मी आयशा मिश्रा प्रदेश में फर्राटा चैंपियन बन चुकी है। सौ मीटर, लंबी कूद व उछल कूद में प्रदेश स्तर की गोल्ड मेडलिस्ट आयशा राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिभाग कर चुकी है। गांव गड़रियन का पुरवा की रहने वाली गीता पाल आठ सौ मीटर,15 सौ मीटर व तीन हजार मीटर में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत चुकी है। गीता प्रदेश स्तर की चैंपियन भी रह चुकी है। विकास क्षेत्र के ही भेंवई गांव निवासी सुधा तिवारी सौ मीटर दौड़ व ऊंची कूद में प्रदेश स्तर पर स्वर्ण ला चुकी है। भादर से ही सटे भेटुआ के भीमी गांव में जन्मी सुधा सिंह तीन हजार मीटर दौड़ में एशियन गेम्स में देश को चांदी दिला चुकी हैं। बेटियां देश और जिले का नाम रोशन कर ही है।