अपराधियों की पहली पसंद बन रहे हैं मुंगेर के असलहे
हत्या, लूट, जानलेवा हमला, समेत अन्य वारदातों में अपराधी इनका उपयोग कर रहे हैं, कम दाम का होने के कारण मुंगेर के असलहे अपराधियों को ज्यादा रास आ रहे हैं।
अंबेडकरनगर (प्रदीप पांडेय)। जिले के अपराधियो को बिहार के मुंगेरी असलहें भा रहे हैं। ऐसे में असलहा तस्करों के साथ बिहार के तस्करों की जुगलबंदी परवान चढ़ने लगी है। इसी का नतीजा है कि बिहार से असलहों की बड़ी खेप जिले में पहुंच रही है, लेकिन पुलिस महकमा इनके आकाओं तक नहीं पहुंच पा रहा है।
हत्या, लूट, जानलेवा हमला, समेत अन्य वारदातों में अपराधी इनका उपयोग कर रहे हैं। कम दाम का होने के कारण मुंगेर के असलहे अपराधियों को ज्यादा रास आ रहे हैं। जिले में हो रही आपराधिक वारदातों में आपराधी आमतौर पर पिस्तौल का इस्तेमाल करते हैं। हत्या, लूट, डकैती, जालनेवा हमला हो अथवा अन्य जघन्य वारदात। वारदातों में स्वचलित असलहों के इस्तेमाल की बात वारदात के बात प्रकाश में आती रहती है।
एक दशक पूर्व की वारदातों पर गौर करें तो आठ अगस्त वर्ष 2010 को पूर्व ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि शेष कुमार वर्मा को अहिरौली थाना क्षेत्र में दिनदहाड़े गोलियों से छलनी कर दिया गया था। इस घटना में उपचार के बाद उनकी जान बच गई। इसके उपरांत 10 अगस्त 2010 को महरुआ थाना क्षेत्र में पूर्व ब्लॉक प्रमुख सुभाष सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
इसके उपरांत गोपाल पांडेय हत्याकांड, संयज वर्मा हत्याकांड, शैलेंद्र सिंह हत्याकांड, बेचन सिंह हत्याकांड, जुरगाम मेंहदी पर हुए जानलेवा हमले, एलएडंटी कर्मियों पर जानलेवा हमला समेत जिले में हुई जघन्य वारदातों में मुंगेर एवं पश्चिम बंगाल के असलहों का इस्तेमाल किया गया। पुलिस के द्वारा कई बार की गई कार्रवाई में अपराधियों के पास से ऐसे असलहे भी बरामद किए गए, लेेकिन पुलिस उन तक नहीं पहुंच सकी जहां से अपराधी असलहे लेकर वारदातों को अंजाम देते हैं।
आठ माह में बरामद हुए 35 असलहा व 78 कारतूस: जिले में पुलिस ने गत आठ माह में कुल 35 अवैध असलहे बरामद किए। जिसमें एक रिवाल्वर, नौ पिस्तौल व 25 तमंचे शामिल हैं। इसी तरह विभिन्न बोर के 78 कारतूस भी बरामद किए गए हैं।
आसानी से मिल जाते हैं मुंगेरी असलहे: बिहार के मुंगेर से आने वाले असलहे काफी सस्ते पड़ते हैं। ऐसे में ये अपराधियों को ज्यादा भाते हैं। अपराधियों को यह असलहे जिले में ही 15 से 20 हजार तक कीमत में मिल जाते हैं। ऐसे में असलहा पाने के लिए इन्हें किसी तरह का खतरा भी नहीं उठाना पड़ता। इस कारण से यह अपराधियों की पहली पसंद बन गए हैं।
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क्या कहते हैं अधिकारी: पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह कहते हैं, अपराधियों एवं अवैध असलहों की धरपकड़ के लिए विशेष अभियान चलाया जाता है। पकड़े गए अपराधियों से पूछताछ के आधार पर असलहों के व्यापारियों को भी गिरफतार किया जाता है।
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